उत्तराखंड

उत्तराखंड का दुर्भाग्य, आज भी मरीज को कंधे में बिठाकर 5 Km पैदल चलते हैं लोग..

उत्तराखंड का दुर्भाग्य, आज भी मरीज को कंधे में बिठाकर 5 Km पैदल चलते हैं लोग..

उत्तराखंड: पौड़ी मुख्यालय के समीपवर्ती ब्लॉकों में सड़क ना होने के चलते बुजुर्ग मरीजों को पालकी के मदद से पहुंचाया जाता हैं। पहाड़ों में अस्पताल और सड़को की मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते गांव से पलायन हो रहा है पहाड़ो से पलायन का मुख्या कारण वहा पर पहाड़वासियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का ना होना हैं। जिससे पहाड़वासी पहाड़ो से पलायन करते हैं।

 

अब पौड़ी के कोट ब्लॉक की लीई गांव में ही देख लीजिये जहां पर आजादी के इतने सालों बाद भी सड़क नहीं बन पायी हैं। यहां पर सड़क ना होने के चलते बुजुर्ग लोगों को पालकी की मदद से 5 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया जाता है यदि गांव में युवा ना हो तो आखिर कैसे इन बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुंचाया जाएगा। यह हाल उस विधानसभा का है जो मंडल मुख्यालय पौड़ी से सटी हुई है। जिस जनपद ने राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश को अब तक पांच मुख्यमंत्री दे दिए है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य जनपदों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का क्या हाल होगा।

 

इसके बावजूद इसकी दशा और दिशा पिछले 20 सालों में अब तक नहीं बदल पाई है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अवस्थाओं का दौर ये सभी राज्य गठन के बाद से ही लगातार देख रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि उनकी ग्राम सभा को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क को सालों पहले स्वीकृत कर दिया गया था। यहां तक कि सड़क के लिए पैसे भी स्वीकृत कर दिए गए। लेकिन उसके बावजूद भी उनके गांव में अब तक सड़क नहीं पहुंच पाई है, जिसके कारण ग्रामीणों को अवस्थाओं का सामना करते हुए बीमार पीड़ित को डोली के माध्यम से जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।

 

पहाड़ो पलायन होने का मुख्या कारण यही है। वाकई यह उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्य का विषय है कि जहां प्रदेश सरकार द्वारा हर गांव को सड़क से जोड़ने के दावे किए जाते हैं लेकिन सरकार दावे और वादे धरातल पर कहीं नजर नहीं आते। यह केवल इसी गांव की स्थिति नहीं है। बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखंड का यही हाल हैं जहां पर बीमार और असहाय लोगों को प्राथमिक उपचार तक के लिए डोली के माध्यम से स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया जाता है।

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