शीतकाल के छह माह ओंकारेश्वर मंदिर में होंगे दर्शन
केदारनाथ। भगवान शिव के 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट आज शुक्रवार (भैया दूज) को लग्नानुसार सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
भगवान की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए आज रात्रि प्रवास के लिए प्रथम पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 11 नवंबर को डोली अपने शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल में विराजमान होगी।
शुक्रवार को तड़के चार बजे से केदारनाथ मंदिर में बाबा की विशेष पूजा-अर्चना शुरू हुई। मुख्य पुजारी टी गंगाधर लिंग द्वारा बाबा केदार की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रुप देते हुए विशेष पूजा के साथ लिंग को भष्म से ढक दिया गया। साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति का श्रृंगार कर चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया।
इसके बाद परंपरानुसार बाबा केदार की मूर्ति को मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया। यहां पर अन्य धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए प्रशासन व बीकेटीसी के अधिकारियों की मौजूदगी में मंदिर के कपाट बंद कर चॉबी उपजिलाधिकारी ऊखीमठ गोपाल सिंह चौहान को सौंपी।
बाबा केदार की डोली मंदिर की तीन परिक्रमा कर श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर रुद्रा प्वाइंट, लिनचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग में भक्तों को आशीष देते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। 10 नवंबर को डोली रामपुर से प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुचेंगी।
यहां पर बाबा केदार की डोली के आगमन पर एक दिवसीय मेला भी आयोजित होगा। 11 नवंबर को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति अपने शीतकालीन पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी।