उत्तराखंड

बाल्यकाल में घर छोड़कर आध्यात्म का पकड़ा रास्ता..

बाल्यकाल में घर छोड़कर आध्यात्म का पकड़ा रास्ता..

 

 

 

रुद्रप्रयाग। बाबा बर्फानी ललित महाराज मूलतः उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ जिले से हैं। बाल्यकाल में उन्होंने घर छोड़कर आध्यात्म का रास्ता पकड़ लिया। जिसके बाद से वे केदारघाटी के विभिन्न क्षेत्रों में रहकर बाबा केदार की आराधना कर रहे हैं। आपदा के बाद वे जब केदारनाथ धाम पहुंचे तो वे यहां का नजारा देखकर हैरान रह गये और उन्होंने मन में ठान लिया कि वे यहां पर रहकर बाबा की तपस्या के साथ ही देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की मदद करने के साथ ही साधु संतों की सेवा करेंगे।

 

आपदा के बाद सबसे बड़ी समस्या साधु संतों के रहने के लिए हो रही थी। ऐसे में ललित महाराज ने केदारनाथ पैदल मार्ग के पुराने रास्ते पर मंदिर से दो सौ मीटर की दूरी पर एक आश्रम तैयार किया। धीरे-धीरे इस आश्रम में श्रद्धालु भी पहुंचने लगे और श्रद्धालुओं की मदद से आज यहां पर दो सौ लोगों की रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है। वर्ष 2013 की आपदा के बाद से बाबा ललित महाराज धाम में रह रहे हैं और केदारनाथ यात्रा के दौरान साधु-संतों की मदद करने के साथ ही तीर्थ यात्रियों के लिए रहने और खाने की उचित व्यवस्था भी करते हैं।

 

बाबा बर्फानी ललित महाराज ने बताया कि तत्कालीन डीएम मनुज गोयल ने धाम में आश्रम निर्माण में उनकी बहुत मदद की, जिसके फलस्वरूप आज साधु संतो के साथ ही धाम में श्रद्धालुओं के लिए रहने और खाने की उचित व्यवस्था हो पाई है। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी ललित महाराज की आस्था से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने पिछले दिनों चुनाव के दौरान अगस्त्यमुनि में आयोजित जनसभा में ललित महाराज के बारे में जनता को बताया था।

 

 

 

 

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