नौ नवम्बर को बंद होंगे विख्यात केदारनाथ धाम के कपाट
29 अक्टूबर को तुंगनाथ और 22 नवम्बर को मदमहेश्वर के कपाट भी होंगे बंद
रुद्रप्रयाग। द्वादश ज्योर्तिलिगों में अग्रणी भगवान केदार, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने की तिथि विजय दशमी पर्व पर पौराणिक परम्पराओं के अनुसार शीतकालीन गद्दीस्थलों में पंचांग गणना के अनुसार घोषित की गई। विश्व विख्यात भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज के पावन पर्व पर नौ नवम्बर को प्रात: आठ बजकर तीस मिनट पर बंद किये जाएंगे। जबकि द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट 22 नवम्बर व तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 29 अक्टूबर को बंद होंगे।
शुक्रवार को विजयदशमी के पावन पर्व पर पौराणिक परम्पराओं के अनुसार शीतकालीन गददीस्थलों में कपाट बंद करने की तिथि लग्न और मुहूर्त निकाला गया। पूर्व की भांति इस वर्ष भी बाबा केदार के कपाट भैयादूज के पर्व पर नौ नवम्बर को प्रात: आठ बजकर तीस मिनट पर बंद कर दिये जाएंगे। धनु लग्न में बाबा केदार के कपाट शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जाएंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली हिमालय से प्रस्थान कर लिनचैली, भीमबली, जंगलचटटी, गौरीकुण्ड व सोनप्रयाग यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुँचेगी।
10 नवम्बर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली रामपुर से प्रस्थान कर शेरसी, बडासू, फाटा, मैखण्डा, ब्यंूग, नारायणकोटी व नाला यात्रा पडावों से होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुँचेगी। 11 नवम्बर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली गुप्तकाशी से प्रस्थान कर भैंसारी, विद्यापीठ, जैबरी होते अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी।
पंच केदारो में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर वृषक लग्न में शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जाएंगे। धाम के कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर मैखभ्मा, कूनचटटी, नानौ, खटारा व वनातोली होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुँचेगी। 23 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गाँव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुँचेगी। 24 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरूवा व मनसूना यात्रा पडावो पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गिरिया गांव पहुंचेगी।
25 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की डोली गिरिया में प्रस्थान कर फांपज, सलामी होते हुए मंगोलचारी पहुंचेगी, जहां पर रावल व श्रद्धालुओं द्वारा डोली की अगुवाई की जायेगी। डोली मंगोलचारी से प्रस्थान कर बाह्मणखोली, डंगवाडी होते हुए दोपहर 1 बजे ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंच कर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होगी।
भगवान मदमहेश्वर की डोली के धाम से ऊखीमठ आगमन पर 24 नवम्बर से 26 नवम्बर तक तीन दिवसीय मदमहेश्वर मेले का आयोजन किया जायेगा।
पंच केदारो में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में पंचांग गणना के अनुसार भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने की तिथि घोषित कर दी गई है। 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर वृषक लग्न में भगवान तंुगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायंेगे। तंुगनाथ धाम के कपाट बन्द होने के बाद भगवान तंुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से प्रस्थान कर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी।
30 अक्टूबर को भगवान तंुगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली चोपता से प्रस्थान कर बनियाकुण्ड, दुगलबिटटा, मक्कूबैण्ड, बनातोली यात्रा पडावो पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी। 31 अक्टूबर को भगवान तंुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भनकुण्ड से प्रस्थान कर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल तंुगनाथ मन्दिर मक्कूमठ पहुंचेगी और शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होगी।