कजरी तीज व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत विधि..
कजरी तीज के दिन महिलाएं नीमड़ी माता की पूजा करती हैं..
देश-विदेश: कजरी तीज का त्योहार आज है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। कजरी तीज के दिन महिलाएं नीमड़ी माता की पूजा करती हैं। यह व्रत सुहागन स्त्रियां सुख-समृद्धि की कामना के लिए करती हैं। यह व्रत निर्जला रखा जाता है।
गर्भवती महिलाएं जल और फलाहार ले सकती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। गाय की पूजा करने के बाद गाय को आटे की सात लोईयों पर गुड़ और घी रखकर खिलाया जाता है। उसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस बार कजरी तीज पर धृति योग बन रहा है। कहा जाता हैं कि इस व्रत से धृति योग में किए गए सारे कार्य पूरे होते हैं। कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज भी कहा जाता है।
कजरी तीज का शुभ मुहूर्त, व्रत और विधि..
हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 24 अगस्त को शाम 4 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 25 अगस्त की शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
पूजा सामग्री..
कजरी तीज में मिट्टी, गाय का गोबर, घी, गुड़, नीम की टहनी, काजल, मेंहदी, मौली, बिंदिया कच्चा दूध, दीपक, थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि पूजा सामाग्री एकत्रित कर लें।
पूजा विधि..
नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे देने से करें। फिर अक्षत चढ़ाएं। अनामिका उंगली से नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली की 13 बिंदिया लगाएं। साथ ही काजल की 13 बिंदी भी लगाएं, काजल की बिंदियां तर्जनी उंगली से लगाएं। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाएं और उसके बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र भी अर्पित करें। फिर उसके बाद जो भी चीजें आपने माता को अर्पित की हैं, उसका प्रतिबिंब तालाब के दूध और जल में देखें। कजरी तीज पर संध्या को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। फिर उन्हें भी रोली, अक्षत और मौली अर्पित करें। चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानों को हाथ में लेकर चंद्रमा के अर्ध्य देते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमा करें।