उत्तराखंड

आखिर कब तक बिना शंकराचार्य के रहेगी ज्योतिषपीठ

शंकराचार्य

दस्तक.. ठेठ पहाड़ से

उत्तराखंड स्थित आदि शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिषपीठ (बद्रिकाश्रम) के शंकराचार्य को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है। ज्योतिषपीठ पर तीन संत स्वामी मधवाश्रम, स्वामी वासुदेवानंद और स्वामी स्वरूपानंद अपनी दावेदारी जताते आऐ है। कोर्ट द्वारा स्वामी वासुदेवानंद और स्वामी स्वरूपानंद को अवैध करार दिऐ जाने पर स्वामी माधवाश्रम के निधन हो जाने से वर्तमान देश की यह महत्वपूर्ण पीठ शंकराचार्यविहीन चल रही है। नये शंकराचार्य के निर्धारण के लिऐ तीन पीठो के शंकराचार्यो समेत काशी विद्वत परिषद, भारत धर्म सेवामंडल को जिम्मेदारी सौपी गयी थी। लेकिन तय समय समाप्त होने पर नये शंकराचार्य का नाम सामने नही आ पाया है। इधर ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य का नाम तय करने के लिए हाईकोर्ट ने और समय देने की मांग खारिज कर दी है। भारत धर्म महामंडलन ने समय बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। कहा गया कि कोर्ट द्वारा तीन माह में नए शंकराचार्य के चयन की समयसीमा समाप्त हो चुकी है और कोई नाम तय नहीं हो पाया है, इसलिए और समय दिया जाए।अर्जी भारत धर्म महामंडल के महासचिव शंभूनाथ उपाध्याय ने दाखिल की थी, जबकि भारत धर्म महामंडल के ही एक अन्य गुट के महासचिव सत्यनारायण पांडेय ने इसका विरोध करते हुए अर्जी दाखिल की थी कि कोर्ट के निर्देशानुसार महामंडल और काशी विद्वत परिषद ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का फिर से ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य के पद पर पट्टाभिषेक कर दिया है। कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि याची न तो इस विवाद के मूल वाद में पक्षकार था और न ही हाईकोर्ट में दाखिल अपील में पक्षकार था। हाईकोर्ट द्वारा 22 सितंबर 2017 को दिए फैसले के खिलाफ अपील सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। ऐसे में समय बढ़ानेे की मांग करना अर्थहीन है। अर्जी पर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति केजे ठाकर की पीठ ने सुनवाई की। उल्लेखनीय है कि ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य के विवाद में हाईकोर्ट ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी वासुदेवानंद दोनों के दावे को अवैध करार देते रद्द कर दिया था। कोर्ट ने भारत धर्म महामंडल और काशी विद्वत परिषद को तीन माह में नए शंकराचार्य की खोज कर पट्टाभिषेक करने का आदेश दिया था।

कैसे होती है शंकराचार्यो की नियुक्ति

आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित यह ग्रंथ ‘मठाम्नाय महानुशासनम’ से ही शंकराचार्य संचालित होते हैं. इस ग्रंथ में शंकराचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया के साथ उनकी योग्यता, उनकी शासन शैली और उनके द्वारा की गई किसी भी गड़बड़ी पर उन्हें हटाए जाने का भी जिक्र है।

शंकराचार्य बनने की योग्यता…
देश की चारों पीठों पर शंकराचार्य की नियुक्ति के लिए यह योग्यता होनी जरूरी है-
– त्यागी ब्राम्हण हो
– ब्रम्हचारी हो,
– डंडी सन्यासी हो,
– संस्कृत, चतुर्वेद, वेदांत और पुराणों का ज्ञाता हो,
– राजनीतिक न हो.
कौन करेगा चुनाव
अब नियमतः और शास्त्रोक्त पद्धति का पालन करते हुए तीनों पीठों के शंकराचार्य से परामर्श लेने के बाद काशी विद्वत परिषद और भारत धर्म महामंडल मिलकर नए शंकराचार्य का नाम तय करेंगे।

1- श्री भारत धर्म महामण्डल
वर्ष 1901 में स्थापित श्री भारत धर्म महामंडल की ओर से तीनों शंकराचार्यों को मार्गदर्शन लेने के आशय से निवेदन पत्र भी भेजा गया है. संस्था के वर्तमान सचिव डॉ. शंभू उपाध्याय ने बताया, ‘ज्योतिष पीठ पर खाली हुए शंकराचार्य के पद की चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए हमारी ओर से एक अखिल भारतीय बैठक का आयोजन अगले हफ्ते सुनिश्चित है, हमने अभी हाल ही में परामर्श के लिए पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी से भी मुलाकात की थी. अगले हफ्ते मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्वामी स्वरूपानंद जी से भी भेंट होने की प्रबल संभावना है. जो कुछ भी होगा वो मार्गदर्शन और प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं होगा.’

हालांकि अभी तक इन पत्रों का जवाब किसी शंकराचार्य की तरफ से नहीं आया है लेकिन दूसरी तरफ संस्था के चीफ सेक्रेटरी प्यारे सिंह का कहना है, ‘एक हफ्ते पहले तीनों पीठों को निवेदन पत्र भेजा गया है और उनसे योग्य नाम मांगा गया है. इसके अलावा अब पद्म पुरस्कारों से विभूषित लोगों और अन्य विद्वानों समेत संबद्ध संस्थाओं से भी नाम मांगे जाएंगे. हम इस प्रक्रिया के लिए हाईकोर्ट से समय दिए जाने का निवेदन भी करेंगे क्योंकि अब सिर्फ सवा महीने बचे हैं और इतने कम समय में चयन पूरा होना मुश्किल है.’

2- काशी विद्वत परिषद
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद काशी विद्वत परिषद अब ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के चयन के मुद्दे पर गंभीर है. परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय प्रो. रामयत्न शुक्ल ने बताया, ‘परिषद की ओर से 28 नवंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन है जिसमे नए शंकराचार्य के अभिषेक पर भी विचार मंथन होगा और एक नाम चयन किया जाएगा. उनका अभिषेक मठाम्नाय ग्रंथ के अनुसार ही होगा.’
विद्वत परिषद के मंत्री डॉ. रामनारायण द्विवेदी ने बताया, ‘बैठक में एक नाम का चयन करके उसे तीनों पीठों के शंकराचार्य और भारत धर्म महामंडल को दिया जाएगा. उसके पश्चात एक विद्वत सभा में शास्त्रार्थ और अन्य नियमों का पालन करने के उपरांत नए शंकराचार्य का अभिषेक किया जाएगा.’

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top