उत्तराखंड

प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय करने को गठित समिति के अध्यक्ष का इस्तीफा..

प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय करने को गठित समिति के अध्यक्ष का इस्तीफा..

 

 

 

 

 

प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों की फीस तय करने के लिए गठित प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति के अध्यक्ष न्यायाधीश महबूब अली (सेनी) ने इस्तीफा दे दिया।

 

 

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों की फीस तय करने के लिए गठित प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति के अध्यक्ष न्यायाधीश महबूब अली (सेनी) ने इस्तीफा दे दिया। 275 से अधिक शिक्षण संस्थानों में फीस निर्धारित करने के सरकार के पांच साल के प्रयास को उनके इस्तीफे से झटका लगा है।

शिक्षा सचिव शैलेश बगौली का कहना है कि उन्हें समिति अध्यक्ष का इस्तीफा मिल गया है। इसे उच्च स्तर पर स्वीकृति के लिए भेजा गया है। प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों पर प्रोफेशनल कोर्स की फीस को लेकर मनमानी के आरोप लगते रहे हैं। इन संस्थानों में उपलब्ध संसाधनों के अनुसार एमबीबीएस, बीडीएस, बीटेक, एग्रीकल्चर, बीएड, एलएलबी, मैनेजमेंट, पैरामेडिकल आदि विभिन्न प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय की जा सके इसके लिए प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति बनाई गई है।

समिति अध्यक्ष का पद वर्ष 2019 से खाली पड़ा है। काफी विचार-विमर्श के बाद सरकार ने पिछले साल फरवरी में प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति के अध्यक्ष पद पर न्यायाधीश महबूब अली की नियुक्ति की थी।लेकिन समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति के एक साल बाद भी विभिन्न वजहों से इन संस्थानों की फीस तय नहीं हो पा रही थी।

 

विभिन्न कोर्स की फीस तय होने में अभी और समय लगना तय..

समिति की कई बार की बैठक के बाद भी फीस के संबंध में कोई निर्णय नहीं हो सका। निजी उच्च शिक्षण संस्था जहां प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों की फीस में वृद्धि के लिए लगातार मांग की जा रही थी। उसी समय इन पाठ्यक्रमों के छात्रों का इन शिक्षण संस्थानों पर अधिक फीस लिए जाने के आरोप लगा रहे थे। अध्यक्ष के इस्तीफे से विभिन्न कोर्स की फीस तय होने में अभी और समय लगना तय है।

समिति में यह होते हैं शामिल..

प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय करने के लिए प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति में इसके चेयरमैन, सचिव उच्च शिक्षा, सीए, शिक्षण संस्थान की सब कमेटी के हेड शामिल होते हैं। बताया गया है कि 10 से 11 सब कमेटियां समिति को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकीं थीं।

 

 

 

 

 

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