रायपुर और हल्द्वानी कॉलेज में सबसे पहले जियो फेंसिंग अटेंडेंस शुरू होगी..
प्रदेश में उपस्थिति के लिए जियो-फेंसिंग से हाजिरी के लिए पहले दो कॉलेज हल्द्वानी में एमबी पीजी कॉलेज और देहरादून में रायपुर पीजी कॉलेज में शुरू होगी। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है।
उत्तराखंड: प्रदेश में उपस्थिति के लिए जियो-फेंसिंग से हाजिरी के लिए पहले दो कॉलेज हल्द्वानी में एमबी पीजी कॉलेज और देहरादून में रायपुर पीजी कॉलेज में शुरू होगी। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है। यहां तक कि राज्य के तमाम दुर्गम इलाकों तक के डिग्री कॉलेजों में बायोमीट्रिक या रजिस्टर पर हाजिरी हमेशा से ही विवादों में रही है। कहीं बायोमीट्रिक मशीनें काम नहीं करती तो कहीं रजिस्टर पर बाद में प्रोफेसर एक साथ हाजिरी लगा देते हैं। छात्रों की हाजिरी अभी तक केवल रजिस्टर पर ही होती आई है।
सरकार ने इसे बदलने के प्रयास में उपस्थिति को ट्रैक करने के लिएजियो फेंसिंग से हाजिरी की कवायद शुरू कर दिया है। इस नीति के तहत कोई भी शिक्षक या छात्र जो कॉलेज परिसर में प्रवेश करता है, उसकी उपस्थिति केवल उसके मोबाइल डिवाइस के माध्यम से ली जाएगी। इसके लिए आपको मोबाइल जियो फेंस के दायरे में आना होगा। यह पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राजकीय पीजी कॉलेज, मालदेवता, रायपुर, देहरादून और एमबी पीजी कॉलेज, हल्द्वानी में शुरू होगा। यहां, शीघ्र ही एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा। यदि पायलट सफल होता है, तो इसे अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में भी अपनाया जाएगा।
क्या होता है जियो फेंसिंग..
यह सैटेलाइट आधारित प्रणाली है, जिसमें एक विशेष क्षेत्र की जियो फेंसिंग यानी बाउंड्री बना दी जाती है।कोई भी उपकरण जो इस सीमा के अंतर्गत आता है, उसे रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा। जियो फेंसिंग में प्रवेश करने के बाद ही संबंधित मोबाइल ऐप काम करेगा।
कैसे लगेगी हाजिरी..
जब कोई छात्र या शिक्षक अपने मोबाइल के साथ परिसर में प्रवेश करेगा तो उसे उसमें डाउनलोड उपस्थिति एप को खोलना होगा। यह एप सिर्फ कॉलेज के भीतर यानी जियो फेंसिंग के दायरे में ही काम करेगा। इस ऐप को ओपन करने के बाद उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा। इसे फीड करने पर ही उपस्थिति ली जाएगी। जैसे ही छात्र और शिक्षक उस परिसर से बाहर जाएंगे, उनका रिकॉर्ड अपने आप अपडेट हो जाएगा।