उत्तराखंड

दुनिया भर में हैं प्रकृति की गोद में बसे इस पार्क की सुन्दरता के दीवाने

81 साल का हो गया कार्बेट पार्क
स्थापना दिवस पर नहीं होता बड़ा आयोजन।
हर साल मिलता है करोड़ों का राजस्व।

सुमित जोशी।
रामनगर(नैनीताल)। देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान कार्बेट पार्क आज 81 साल का हो गया है। 1318 वर्ग किमी में फैला पार्क आज राज्य की आय के मुख्य स्रोत पर्यटन व्यवसाय का एक महत्वपूर्ण आधार बनकर सामने आया है। ये पार्क राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष करोड़ों का राजस्व देने के साथ यहां के युवाओं के लिए रोजगार का माध्यम बना है। लेकिन सरकार और प्रशासनिक अमला कार्बेट पार्क के स्थापना दिवस को ही भूल गया।

नैनीताल जिले के रामनगर में स्थित विश्व विख्यात कार्बेट नेशनल पार्क की स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान 8 अगस्त 1936 को की गई। स्थापना के समय इसका नाम संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर मैल्कम हैली के नाम पर रखा गया और ये पार्क हैली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाने लगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसका नाम बदलकर मशहूर ब्रिटिश शिकारी जिम कार्बेट के नाम पर 1957 में उनको श्रद्धांजलि देने के लिए पार्क का नाम जिम कार्बेट नेशनल पार्क रखा गया। 1 अप्रैल 1973 में बाघों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर योजना का आरम्भ किया गया।

प्रकृति की गोद में बसे इस पार्क की अनोखी सुन्दरता के दीवाने दुनिया भर में है। जो इसका दीदार करने इस साल यहां आते है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक पर्यटन सत्र 2016-17 में 2,84,395 भारतीय व 12,363 विदेशी पर्यटक यहां पहुंचे। जिनसे सरकार को 9,68,63,894 का राजस्व प्राप्त हुआ जो पर्यटन सत्र 2015-16 के राजस्व से 72,32,66 ज्यादा है। लेकिन सरकारी खजाने में साल दर साल राजस्व की वृद्धि करने वाले कार्बेट पार्क के स्थापना दिवस को सरकार व वन मकमा भूल जाता है। ये कोई नया मामला नहीं बल्कि बीते कई सालों से ये सिलसिला जारी है की पार्क के स्थापना दिवस को विशेष आयोजन के रूप में नहीं मनाया जाता है।

ऐसा ही कुछ जिम कार्बेट के जन्मदिन पर देखने को मिलता है कि वन महकमा कोई बड़ा आयोजन करने की बजाए जिम कार्बेट की मूर्ति में माल्यार्पण कर इतिश्री कर देता है। ऐसे में राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के सरकार के दावों का सवालों के घेरे में आना लाजमी है।

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