उत्तराखंड

गौचर पनघट की सैकड़ों नाली भूमि पर अवैध अतिक्रमण

दुर्गाधार का है मामला, लगातार हो रहा है अतिक्रमण
रुद्रप्रयाग। तल्लानागपुर क्षेत्रान्तर्गत दुर्गाधार स्थित वन पंचायत भूमि में अतिक्रमण की होड़ सी मची है, जिसके चलते ग्रामीणों में आपसी तनाव पनपने के पूरे आसार बने हैं। ताज्जुब की बात है कि एक साल पूर्व चिकित्सालय के लिए प्रस्तावित भूमि पर प्रशासन ने बमुश्किल अतिक्रमण हटाया था, जो फिर शुरू हो गया है। राजस्व विभाग मौन बैठा है। सैकड़ों नाली भूमि पर अवैध अतिक्रमण हो चुका है।

जिला मुख्यालय से ठीक बीस किमी की दूरी पर ग्राम पंचायत बोरा के दुर्गाधार में सैकड़ों नाली भूमि है, जो प्राचीनकाल से गौचर पनघट के साथ चारापत्ती का साधन स्थानीय ग्रामीणों के लिए हुआ करता था। बीते कुछ सालों से कुछ स्थानीय अतिक्रमणकारियों की पैनी नजर इस वनभूमि पर लगी थी, जो यदा-कदा अवैध कब्जे की जुगाड़ में रहते थे और हुआ भी यही कि धीरे-धीरे अतिक्रमणकारियों ने यहां आलीसान मकान बना दिए हैं। कुछ ने गोशालाएं तो कुछ ने इस सरकारी भूमि को अपना बगीचा बना दिया और आज स्थिति यह है कि अतिक्रमण की होड़ सी मची हुई है। पूरी वन भूमि पर पत्थरों से सीमाएं बांधकर कब्जे में लिया गया है। अतिक्रमण की इस होड़ से कई बार तनाव की स्थिति सामने आ गयी व झगड़े कलह से अशांति भी बनी रहती है। इतना ही नहीं सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचता है। हैरत की बात है कि यह सब देखते हुए भी राजस्व विभाग मौन बैठा है। ऐसा नहीं कि राजस्व विभाग के संज्ञान में नहीं है। विभाग को एक-एक अतिक्रमण की पूरी जानकारी है।

आश्चर्य की बात है कि दुर्गाधार चिकित्सालय के लिए प्रस्तावित भूमि पर एक वर्ष पूर्व जब अतिक्रमण हुआ था तो तत्कालीन संयुक्त मजिस्ट्रेट के निर्देशन में प्रशासन की टीम ने अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करवाया था। राष्ट्रीय सहारा ने जब क्षेत्र की स्थिति पर नजर दौड़ायी तो पाया कि ग्रामीण, महिला, पुरूषों के समूह वन पंचायत की भूमि पर जगह-जगह पत्थरों के ढेर लगाने में जुटे हैं। कहीं निर्माण कार्य तो कहीं गौचर पनघट के रास्ते ही कब्जे में लिए गये हैं। कुछ स्थानीय लोगों से जानकारी की तो जवाब मिला कि यह सब अवैध अतिक्रमण की होड़ है। स्थानीय लोग इसे प्रशासन एवं वन पंचायत की मिली भगत का भी आरोप लगा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वन पंचायत की भूमि के रख-रखाव का जिम्मा वन पंचायत सरपंच को दिया गया है, मगर उनकी ओर से की गई कार्रवाई का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। बहरहाल, यदि इसी तरह सरकारी भूमि पर अतिक्रमण होते रहे तो एक दिन प्रशासन व स्थानीय जनता के लिए बड़ी मुसीबत बन जायेगी। वाद-विवाद बढ़ेंगे और आपसी रंजिश पनपेगी। इसके लिए प्रशासन को समय रहते लगाम लगाने की जरूरत है।

वहीं उप जिलाधिकारी देवानंद का कहना है कि पूर्व में चिकित्सालय की भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत मिली थी, जिसके बाद अतिक्रमण को हटाया गया है। ग्रामीण लोग वन पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण करने में लगे हैं, ऐसा सुनने में आया है। तहसीलदार एवं राजस्व उप निरीक्षक को जांच के निर्देश दिये गये हैं। जिन लोगों ने सरकारी भूमि पर कब्जा किया है, उनका अतिक्रमण हटाया जायेगा और सख्त हिदायत दी जायेगी।

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