उत्तराखंड

विकास भवन की जमीन पर लोगों ने किया अवैध कब्जा, प्रशासन मौन..

विकास भवन की जमीन पर लोगों ने किया अवैध कब्जा, प्रशासन मौन

तहसील प्रशासन की मिलीभगत से एक जमीन के दो मालिक…

जीरो टालरेंस की सरकार में अधिकारी लगा रहे सरकार को ही चूना…

राजनीतिक दबाव में काम कर रहा तहसील प्रशासन…

कागजों में जमीन को ज्यादा दिखाकर बेचने का षड़यंत्र…

शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर मामले में की जांच की मांग…

रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग मुख्यालय से पांच किमी दूर मुख्य विकास भवन कार्यालय के सामने ही जमीन पर कब्जा करने का मामला सामने आया है। यहां पर दो लोगों ने जिला विकास अधिकारी के नाम की जमीन पर कब्जा कर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है और सामने विकास भवन में बैठे अधिकारी मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं। यह सबकुछ तहसील प्रशासन की शह पर हो रहा है। तहसील प्रशासन के अधिकारी इन लोगों से मिले हुए हैं, जिससे वे बेखौफ होकर जिला विकास अधिकारी के नाम की जमीन पर कब्जा करने में लगे हुए हैं।

बता दें कि जिला निर्माण के 17 वर्षो बाद जिले का विकास भवन बनकर तैयार हुआ। 18 सितंबर वर्ष 1997 को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार ने रुद्रप्रयाग जनपद निर्माण की घोषणा की थी। जिला निर्माण के बाद जैसे-तैसे विभागों का संचालन शुरू हुआ। प्रथम दौर में तो कई वर्षो तक जनपद स्तरीय अधिकारी पैतृक जनपद चमोली से ही कार्यो का संचालन करते रहे। लेकिन, इसके बाद राज्य निर्माण होने से जिला स्तरीय अधिकारी जिले में ही तैनात किए गए। अधिकारी तो तैनात हुए, लेकिन भवन के अभाव में विभागीय कार्यालय किराये के भवनों में शुरू किए गए। कई विभाग तो रुद्रप्रयाग शहर के बीचोंबीच स्थित पर्यटन विभाग के अतिथि गृह में संचालित हुए। जिलाधिकारी कार्यालय भी इसी अतिथि गृह में संचालित हुआ।

वर्ष 2004 में जिलाधिकारी कार्यालय का निर्माण बेला खुरड़ में किया गया। वर्ष 2006-07 में कोटेश्वर-खुरड़ में विकास भवन के लिए भूमि का चयन किया गया और वर्ष 2010 में निर्माण कार्य शुरू हुआ, जो जनवरी 2016 में पूरा हो पाया। जिले के विभिन्न विभाग जो अलग-थलग पड़े थे, उन सभी को विकास भवन में शिफ्ट किया गया। जिससे जनता को कोई समस्या न हो। मगर विकास भवन जिस जगह पर बनाया गया है, वहां जाने के लिए लोगों को पसीना बहाना पड़ रहा है और तो और उस जगह पर लोगों ने कब्जा करना भी शुरू कर दिया है।

 

विकास भवन के सामने जो जमीन जिला विकास अधिकारी के नाम पर है, उस जमीन पर एक व्यक्ति ने कब्जा कर निर्माण कार्य खुलेआम किया जा रहा है, जबकि बीस मीटर की दूरी पर दूसरे व्यक्ति ने कब्जा कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। अधिकारियों के सामने यह खेल चल रहा है, मगर कोई मजाल कोई कुछ कर पाए। शिकायतकर्ता रमेश सिंह ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजते हुए कहा कि तहसील प्रशासन ने एक खेत के दो-दो मालिक बना दिए हैं। उनकी जमीन की रजिस्ट्री और दाखिला जिला विकास अधिकारी के नाम पर भी है तो उनके नाम पर किया गया है। उनके मकान के बगल में जो जमीन जिला विकास अधिकारी के नाम दर्ज है, उस पर किसी ने कब्जा कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि तहसील प्रशासन राजनीतिक दबाव में कुछ नहीं कर पा रहा है। उन्होंने अपनी जमीन की रजिस्ट्री व दाखिला सुधारने के लिए 176 का दावा किया है, जिसका मामला एसडीएम कोर्ट में गतिमान है और क्रय-विक्रय पर रोक लगी है। बावजूद इसके कब्जा करने वाला व्यक्ति कार्य करने में लगा है। उन्होंने बताया कि खेत नम्बर 93 सौ वर्ग मीटर में है।

इसमें पचास वर्ग मीटर जिला विकास अधिकारी व उनके नाम पर 80 वर्ग मीटर किया गया है। ऐसे में यह जमीन 30 मीटर अतिरिक्त दर्शायी गयी है। खेत नम्बर 61 जो, 480 वर्ग मीटर में है। इसमें 480 मीटर अंजली देवी के नाम की गयी है और जिला विकास अधिकारी के नाम पर 190 वर्ग मीटर है। यहां भी 190 मीटर अतिरिक्त भूमि दर्शायी गयी है। 98 नम्बर खेत 80 वर्ग मीटर है तो इसमें 30 वर्ग मीटर डीडीओ और 70 वर्ग मीटर सुभाष सिंह के नाम है। यह जमीन भी 20 वर्ग मीटर अतिरिक्त की गयी है। 97 नम्बर खेत जो सौ वर्ग मीटर है, इसमें 30 वर्ग मीटर डीडीओ के नाम तो 80 वर्ग मीटर सुभाष सिंह के दर्शायी गयी है। इसमें दस मीटर अतिरिक्त जमीन आ रही है। तहसील प्रशासन ने इन जमीनों की अधिक रजिस्ट्री की है, जो सरासर गलत है।

 

उन्होंने कहा कि 96 नम्बर खेत जो जिला विकास अधिकारी के नाम पर है, उस पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। विकास भवन के सामने यह खेल चल रहा है और कोई बोलने वाला नहीं है। शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि राजस्व उप निरीक्षक ने यह सबकुछ गड़गड़ झाला किया है। ऐसे में मामले में जांच कर दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाय। वहीं मामले में जिलाधिकारी वंदना सिंह ने एसडीएम को जांच के आदेश दिए हैं।

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