उत्तराखंड

प्रदेश की नई आबकारी नीति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक..

प्रदेश की नई आबकारी नीति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक..

सरकार से 10 अप्रैल तक मांगा जवाब..

 

 

 

 

 

 

प्रदेश में शराब के शौकीनों को बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश की नई आबकारी नीति पर रोक लगा दी है। जिससे फिरहाल अभी शराब सस्ती नही हो रही है।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश में शराब के शौकीनों को बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश की नई आबकारी नीति पर रोक लगा दी है। जिससे फिरहाल अभी शराब सस्ती नही हो रही है। कोर्ट ने नई नीति पर फिलहाल रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है। साथ ही मामले में सरकार से जवाब भी मांगा है।

आपको बता दे कि उत्तराखंड में आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई है। पीठ ने सुनवाई के बाद यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने सरकार से 10 अप्रैल तक जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट अब मामले की सुनवाई 13 अप्रैल को करेगी।

बताया जा रहा है कि, पिरूमदारा निवासी विकास चंद्र ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें उनका कहना है कि सरकार ने 22 मार्च को नई आबकारी नीति घोषित की है। जिसे एक अप्रैल से लागू होना है। याचिका में यह भी कहा गया कि आबकारी नीति के क्लॉज 5.3 व 6.3 के तहत देशी व अंग्रेजी शराब के लिए अलग-अलग नीति है। देशी शराब के लिए प्रति बोतल 270 रुपये गांरटी ड्यूटी तय की गई है, जबकि अंग्रेजी शराब के लिए अभी तक यह तय नहीं हुई है। इसलिए वे किस आधार पर दुकानों का नवीनीकरण कराएं। सरकार ने उन्हें लाइसेंस का नवीनीकरण करवाने के लिए समय भी कम दिया है।

बताया जा रहा है कि बीती 25 मार्च को सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि पुराने लाइसेंसधारी 29 मार्च तक अपने दुकानों का रिन्यूअल करा लें। इसके बाद जिन दुकानों का रिन्यूअल नहीं होगा, उनका 31 मार्च को लॉटरी सिस्टम से आवंटन करने की बात कही थी।

वहीं दुकानों के लॉटरी सिस्टम से आवंटन का समय भी कम दिया गया है। 29 को नवीनीकरण, 30 को अवकाश और 31 को दुकानों का लॉटरी से आवंटन होना है। याचिका में कहा गया कि सरकार ने उन्हें एक दिन का समय तक नहीं दिया है। खुद सरकार ने अभी तक रेट तय नहीं किए हैं, इसलिए इस पर रोक लगाई जाए। जिसके बाद अब नीति पर फिरहाल रोक लगा दी गई है।

 

 

 

 

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