उत्तराखंड

इन बच्चों के सिर से उठा मां-बाप का साया

प्रतिभा और प्रेरणा की मासूमियत देखकर हर किसी का दिल पसीज रहा

बेसुध दादी पांच दिनों से कर रही अपने पुत्र और बहु का घर लौटने का इंतजार

जवाड़ी बाईपास मोटरमार्ग दुर्घटना में लापता चल रहे हैं ढौण्डा गांव के गजेन्द्र और उनकी पत्नी ज्योति

बूढ़ी दादी को चिंता दोनों अभागी बच्चियों का कौन बनेगा सहारा 

प्रवीन सेमवाल

रुद्रप्रयाग। पांच वर्ष की मासूम प्रतिभा और चार वर्ष की प्रेरणा अभी इस बात से अंजान हैं कि उनके सिर से मां-बाप का साया उठ चुका है। उन्हें जरा सा भी इस बात का अहसास नहीं है कि वह छोटी सी उम्र में अनाथ हो गई हैं। दोनों मासूम बच्चियों की दादी अपने जवान पुत्र और पुत्रवधु के गम में पांच दिनों से बेसुध पड़ी हुई हैं। खाने-पीने का होश नहीं है। दादी को इंतजार है कि उनका पुत्र और बहु घर लौटेंगे। किसी तरह अन्य ग्रामीण और रिश्तेदार दोनों छोटी बच्चियों को संभाल रहे हैं।

विगत शुक्रवार को जवाड़ी-बाईपास मोटरमार्ग पर हुई वाहन दुर्घटना ने कई परिवारों को ऐसे जख्म दिये हैं, जिन्हें आजीवन नहीं भुलाया जा सकता है। वाहन में सवार पांच लोगों का अभी भी कुछ पता नहीं चल पाया हैं। परिजन आज भी घर में उनका इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें क्या पता वह कभी भी अब घर लौटकर नहीं आएंगे। ढौण्डा भरदार निवासी गजेन्द्र सिंह पंवार (30) और उनकी पत्नी ज्योति पंवार (27) भी तिलवाड़ा से इस वाहन में सवार हुई थी। ज्योति को प्रसव पीड़ा थी और वह अपने पति के साथ जिला चिकित्सालय आ रही थी, लेकिन चिकित्सालय पहुंचने से पहले ही जवाड़ी बाईपास मोटरमार्ग पर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पांच दिन का समय गुजर चुका है, लेकिन अभी तक पति-पत्नी का शव बरामद नहीं हो पाया है। गांव में गम का माहौल है। पांच दिनों से बेसुध पड़ी मां शैनानी देवी अपने पुत्र और बहु का घर आने का इंतजार कर रही है।

पांच वर्ष की प्रतिभा और चार वर्ष की प्रेरणा को अभी इस बात का जरा भी अहसास नहीं है कि उनके माता-पिता हमेशा के लिये उन्हें छोड़कर चली गये हैं। उनके घर में जो भी सांत्वना देने के लिये जा रहा है, दोनों बच्चियां उससे लिपट जा रही हैं। इन दोनों अभागी बच्चियों को पता नहीं है कि इनके सर से मां-बाप का साया उठ चुका है। छोटी सी उम्र में दोनों बच्चियां अनाथ हो गई हैं। दोनों बच्चियों के पिता गजेन्द्र सिंह तिलवाड़ा में दुकान चलाकर अपने परिवार का लालन-पालन करते थे, लेकिन अब दोनों छोटी नासमझ बच्चियों की जिम्मेदारी बूढ़ी दादी के कंधों पर आ गई है। चाचा संदीप सिंह बेरोजगार हैं। वह दिल्ली में छोटी-मोटी नौकरी करके अपना गुजारा कर रहे थे, लेकिन हादसे के बाद से भाई भी सदमे में हैं। बुजुर्ग मां की आंखों से आंसू कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। पांच दिनों से अपने पुत्र के शोक में मां ने पानी तक नहीं पिया है, खाना तो दूर की बात है। बूढ़ी हो चुकी दादी के कंधों पर अब दो बच्चियों की जिम्मेदारी भी आ गई है। आय का कोई साधन नहीं है। अब बुढ़ापे में दादी किस तरह इन दोनों अभागी बच्चियों का लालन-पालन करेगी। अभी इन बच्चियों के दूध के दांत भी नहीं टूटे थे कि एक साथ मां-बाप का साया उठ गया है। कुछ समय पहले परिवार सुखी-संपन था। घर में नये मेहमान का इंतजार था, लेकिन अचानक हुई दर्दनाक घटना ने सबकी जिदंगी तबाह करके रख दी है। बूढ़ी दादी अब किस तरह इन बच्चों का पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी उठायेगी।

कहते हैं जब किसी पर प्रकृति की मार पड़ती है तो चारों ओर से पड़ती है। प्रतिभा और प्रेरणा पर भी छोटी सी उम्र में प्रकृति की ऐसी मार पड़ी है, जिसे वह आजीवन नहीं भुला सकती हैं। जब उन्हें प्यार-प्रेम की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब उनके सिर से मां-बाप का साया उठ चुका है। दोनों बच्चों के मासूम चेहरों को देखकर हर किसी का दिल पसीज रहा है। हर कोई भगवान से यही दुआ कर रहा है कि हे भगवान इतने बुरे दिन कभी किसी को न दिखाना।

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