उत्तराखंड

हार के डर से लिया देवस्थानम बोर्ड पर फैसला-पूर्व सीएम हरीश रावत..

हार के डर से लिया देवस्थानम बोर्ड पर फैसला-पूर्व सीएम हरीश रावत..

 

 

 

उत्तराखंड: कांग्रेस ने देवस्थानम बोर्ड भंग करने के सरकार के फैसले को अपनी जीत की तरह लिया है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्त्ताओं ने आतिशबाजी कर मिठाई बांटी। पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत का कहना हैं कि विधानसभा चुनाव में हार के डर ने सरकार को देवस्थानम बोर्ड समाप्त करने के लिए विवश कर दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना हैं कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें हर मोर्चे पर विफल साबित हुई हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार को भांपकर पेट्रोलियम पदार्थों में कर माफी और फिर कृषि कानूनों को वापस लिया गया। अब राज्य की भाजपा सरकार देवभूमि के तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूकों पर प्रहार करने वाले देवस्थानम बोर्ड को समाप्त करने को मजबूर हो गई। आने वाले चुनावों में हार के डर से भाजपा की सरकारों को अपने जन विरोधी फैसले बदलने पड़ रहे हैं। उन्होंने सरकार के फैसले को तीर्थ पुरोहितों के संघर्ष की जीत बताया।

 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना हैं कि कांग्रेस ने पहले दिन ही सरकार के इस फैसले को अव्यवहारिक बताया था। सदन से लेकर सड़क तक इसका विरोध करते हुए वापस लेने की मांग की जा रही थी। सत्ता के घमंड में चूर सरकार को आम जन की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नजर मंदिरों में होने वाली कमाई पर टिकी हैं। इसलिए गरीब हक-हकूकधारियों के पेट पर लात मारने का षडयंत्र किया गया। आखिरकार देवभूमि की आस्था जीत गई।

 

वही केदारनाथ विधायक मनोज रावत का कहना हैं कि देवस्थानम बोर्ड भंग करना सड़क से लेकर सदन तक किए गए कांग्रेस के संघर्ष की जीत है। पार्टी ने इस मामले में सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाई। कांग्रेस ने संबंधित विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का सुझाव दिया था, लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना। कांग्रेस इसके खिलाफ प्राइवेट मेंबर बिल भी सदन में लाई थी।

 

 

 

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