उत्तराखंड

पीड़ा गांव में गुलदार ने एक दर्जन भेड़ों को बनाया निवाला..

पीड़ा गांव में गुलदार ने एक दर्जन भेड़ों को बनाया निवाला..

लम्बे समय से क्षेत्र में बना है गुलदार और भालू का आतंक..

रात के समय गौशालाओं को तोड़कर मवेशियों को निवाला बना रहा गुलदार..

ग्रामीणों को सता रहा अपनी जान का खतरा..

 

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। धनपुर पट्टी के पीड़ा गांव में गुलदार का आतंक बना हुआ है। गुलदार रात होते ही गौशालाओं में घुसकर मवेशियों को अपना निवाला बना रहा है, जिस कारण ग्रामीणों की आजीविका को नुकसान पहुंच रहा है। वन विभाग है कि ग्रामीणों की परेशानियों को समझने तक को तैयार नहीं है। लम्बे समय से ग्रामीण जनता गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग कर रही है, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों को अब अपनी जान का भी डर सता रहा है।

बता दें कि धनपुर पट्टी के पीड़ा गांव में कई सालों से गुलदार का आतंक बना हुआ है। इसके साथ ही भालू के आतंक से भी ग्रामीण खौफजदा हैं। आये दिन भालू ग्रामीणों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है तो गुलदार रात के समय गौशालाओं का दरवाजा तोड़कर मवेशियों को निवाला बनाने में लगा है। बीती रात को गुलदार ने पीड़ा गांव में ग्रामीण हरीश सिंह पुत्र मातबर सिंह की गौशाला का दरवाजा तोड़कर एक दर्जन भेड़-बकरियों को अपना निवाला बना दिया। गुलदार के आतंक से ग्रामीण जनता परेशान हो चुकी है।

एक ओर भालू फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है तो गुलदार मवेशियों को निवाला बनाकर उनकी आर्थिकी का जरिया ही खत्म कर रहा है। प्रधान अर्जुन सिंह नेगी एवं सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मोहन ने कहा कि लम्बे समय से पीड़ा गांव में भालू और गुलदार का आतंक बना हुआ है। जिला प्रशासन और वन विभाग को लिखित एवं मौखिक रूप से सूचना देने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नही की गई है। उन्होंने कहा कि ना ही गुलदार के आतंक से ग्रामीणों को निजात दिलाई जा रहा है और ना ही भालू का खौफ कम किया जा रहा है।

ऐसे में ग्रामीण जनता भयक्रांत हैं। उन्होंने गुलदार के आतंक के कारण महिलाएं घास काटने को नहीं जा रही है, जबकि स्कूली बच्चे भी स्कूल जाने से कतरा रहे हैं। ग्रामीणों को अपने पाल्यों की चिंता सता रही है। सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मोहन ने कहा कि वन विभाग की लापरवाही के कारण ग्रामीणों के मवेशी सुरक्षित नहीं हैं। ग्रामीण जनता का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के मवेशी गुलदार का शिकार हो रहे हैं और वन विभाग की टीम गांव में पहुंचकर पंचनामा तो कर रही है, लेकिन उसके कई सालों के बाद भी प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में ग्रामीण जनता खासी परेशान है। उन्होंने वन विभाग से तत्काल प्रभावित ग्रामीण को मुआवजा देने के साथ ही क्षेत्रवासियों को गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।

 

 

 

 

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