भाजपा ने उत्तराखंड सरकार और नेताओं को मैदान पर उतारा..
उत्तराखंड: कृषि कानूनों को लेकर गरमाई सियासत के बीच भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों को मैदान में उतार दिया है। रविवार से तीन दिन तक पार्टी के केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, हरक सिंह रावत, अरविंद पांडेय समेत पार्टी के 18 नेता प्रदेश में अलग अलग स्थानों पर पत्रकार वार्ताओं में कृषि कानूनों के समर्थन में अपना पक्ष रखेंगे।
इसकी शुरुआत हल्द्वानी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और देहरादून से कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक तथा चमोली से राज्यमंत्री धनसिंह रावत ने प्रेस वार्ताओं से कर दी है। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान कल्याण व उनकी आय में वृद्धि के लिए लोकसभा में पारित किए गए कृषि विधेयकों के व्यापक प्रचार व जनजागरण के लिए हर जिले में पत्रकार वार्ता के निर्देश दिए हैं।
किस जिले में कौन करेगा पत्रकार वार्ता
14 दिसंबर को टिहरी और रुद्रप्रयाग में राज्यमंत्री धनसिंह रावत, उत्तरकाशी में प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल, ऋषिकेश में प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल, विकासनगर में प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला, रुड़की में दर्जाधारी विनय रुहेला, अल्मोड़ा में प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत, चंपावत में दर्जाधारी सुदेश परिहार पत्रकार वार्ता करेंगे।
15 दिसंबर को हरिद्वार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री व सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, कोटद्वार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, ऊधमसिंह नगर में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय, पौड़ी में दायित्वधारी वीरेंद्र सिंह बिष्ट, पिथौरागढ़ में दर्जाधारी गजराज बिष्ट, बागेश्वर में दायित्वधारी केदार जोशी, नैनीताल में बलराज पासी प्रेस कांफ्रेंस करेंगे।
शहरी विकास मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक कृषि कानूनों को लेकर उपजे विरोध को सियासी करार दिया है। कौशिक ने कहा कि प्रदेश के किसान आंदोलित नहीं है। फिर भी किसानों की समस्याओं को जानने और कृषि कानूनों को लेकर उपजे संशय को दूर करने के लिए मंत्रियों से लेकर विधायक तक सक्रिय होंगे।
रविवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में सरकार की रणनीति का खुलासा करते हुए कौशिक ने कहा कि आने वाले समय में जिले से लेकर विकास खंड तक के स्तर पर किसान गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। इन गोष्ठियों में मंत्रियों से लेकर विधायक और संगठन के पदाधिकारी तक शामिल होंगे। कृषि कानूनों पर स्थिति स्पष्ट की जाएगी और किसानों की अन्य समस्याओं को जानकर उनका समाधान किया जाएगा।
मंत्री के मुताबिक किसान विरोध पूरी तरह से सियासी है और केंद्र सरकार के खिलाफ साजिश के तहत किसानों को उकसाया जा रहा है। प्रदेश में किसान असंतुष्ट नहीं है और इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी शांति है। विपक्षी दल किसानों को बरगला रहे हैं। किसान पहले भी अपनी जमीन के मालिक थे,आज भी हैं और कल भी रहेंगे।
कौशिक ने कहा कि कृषि कानूनों से न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य कहीं प्रभावित हो रहा है और न ही मंडिया खत्म होने जा रही हैं। इसके उलट, किसान को और अधिक आजादी मिल जाएगी। वह बिचौलियों और दलालों के चंगुल से मुक्त होगा। अन्नदाता को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह कृषि कानून लाए गए हैं। मंत्री के मुताबिक 2013-14 की तुलना में 2019-20 के केंद्रीय बजट में छह गुना वृद्धि हुई।