ग्लोबल वेज रिपोर्ट- दुनिया में बेहद कम वेतन मिलता है,भारतीय मज़दूरों को..
देश-विदेश: ‘ग्लोबल वेज रिपोर्ट 2020-21 वेजेज एंड मिनिमम वेजेज इन द टाइम ऑफ कोविड-19’ के अनुसार देर तक काम कराने के मामले में भारत दुनिया में पांचवे स्थान पर हैं। कई बार मजदूरों को एक हफ्ते में 48 घंटे तक काम करना पड़ता हैं। केवल गांबिया, मंगोलिया, मालदीव और कतर ही ऐसे देश हैं जहां भारत की तुलना में ज्यादा देर तक काम कराया जाता हैं। यहां की एक चौथाई जनसंख्या भारतीयों की हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, एक वर्कर को चीन में औसतन 46 घंटे प्रति हफ्ते, यूनाइटेड किंगडम में 36 घंटे प्रति हफ्ते, अमेरिका में 37 घंटे प्रति हफ्ते और इजराइल में 36 घंटे प्रति हफ्ते कार्य करना पड़ता हैं। ये आंकड़े विभिन्न देशों की एजेंसियों द्वारा मुहैया कराए गए 2019 के अनुमानों पर आधारित हैं। कुछ देशों के आंकड़े इससे पिछले वर्षों के भी हैं। रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि कुछ उप-सहारा अफ्रीकी देशों को छोड़कर भारतीय श्रमिकों को सबसे कम न्यूनतम वेतन मिलता हैं।
यदि भारतीयों में देखें, तो ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी इलाकों के लोगों को अच्छी सैलरी मिलती हैं। साल 2018-19 के पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार पुरुष महिलाओं की तुलना में ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में अधिक देर तक कार्य करते हैं। ग्रामीण भारत में जहां स्व-रोजगार पुरुष एक हफ्ते में 48 घंटे कार्य करते हैं, वहीं महिलाएं इसमें 37 घंटे बिताती हैं। वहीं निश्चित सैलरी पर कार्य करने वाले पुरुष एक हफ्ते में औसतन 52 घंटे और महिलाएं 44 घंटे काम करती हैं। कैजुअल वर्कर (ठेका श्रमिक) की श्रेणी वाले ग्रामीण पुरुष प्रति सप्ताह 45 घंटे काम करते हैं और महिलाएं 39 घंटे काम करती हैं।
शहरी क्षेत्रों में स्व-रोजगार पुरुष प्रति सप्ताह 55 घंटे काम करते हैं, जबकि महिलाएं 39 घंटे काम करती हैं। वेतनभोगी कर्मचारी और नियमित वेतन पाने वाले पुरुष सप्ताह में 53 घंटे काम करते हैं, जबकि महिलाएं 46 घंटे काम करती हैं। वहीं कैजुअल वर्कर वाली श्रेणी के शहरी पुरुष सप्ताह में 45 घंटे काम करते हैं, जबकि महिलाएं 38 घंटे काम करती हैं।