उत्तराखंड

गैरसैंण राजधानी के लिए रुद्रप्रयाग में निकाली संकल्प रैली…

गैरसैंण राजधानी के लिए रुद्रप्रयाग में निकाली संकल्प रैली

10 अक्तूबर से शुरू हो रही जन संवाद यात्रा के पर्चे-बैनर जारी

राजधानी के लिए आंदोलनकारियों ने लिया संकल्प, आंदोलनकारियों ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

रुद्रप्रयाग। गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति ने जिला मुख्यालय में संकल्प रैली निकाली और जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही 10 अक्तूबर से शुरू हो रही पंचेश्वर से उत्तरकाशी जन संवाद यात्रा के पर्चे-बैनर जारी किये गये। गैरसैंण राजधानी के समर्थन में मंगलवार को आंदोलनकारियों ने संघर्ष समिति के बैनर तले पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ संगम बाजार से न्यू बस अड्े तक संकल्प रैली निकाली। बस अड्डे पर रैली जनसभा में तब्दील हो गई। इस मौके पर सबसे पहले राज्य आंदोलन के शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और आंदोलनकारी रमेश पहाड़ी ने कहा कि लगभग 47 वर्षाें की मांग और 42 शहादतों के बाद हमें उत्तराखंड राज्य मिला है। उत्तराखंड की अब तक की नौ सरकारें स्थायी राजधानी के निर्माण की दिशा में कोई मजबूत कदम उठाने में असफल रही है।

आंदोलनकारी ललिता प्रसाद भट्ट, मानवेन्द्र बत्र्वाल, मगनानंद भट्ट ने कहा कि आज उत्तराखंड राज्य आंदोलन की तर्ज पर एक और आंदोलन खड़ा किये जाने की आवश्यकता है। जन-जन को पहाड़ी राज्य की अवधारणा और विकास के विकेन्द्रीकरण को समझाना होगा। गैरसैंण राजधानी के साथ ही परिसीमन, जल, जंगल और जमीन, पंचायती राज एक्ट, भू-प्रबंधन कानून, बेरोजगारी समेत अन्य सवालों पर जनता को लामबंद किये जाने की आवश्यकता है।

पूर्व शिक्षक नेता जोत सिंह बिष्ट, गोविंद सिंह नेगी, सच्चिदानंद सेमवाल, लक्ष्मण सिंह रावत ने कहा कि हमें उत्तराखंड को माफिया और भ्रष्टाचारमुक्त बनाना होगा। राज्य में जंगली जानवरों सुअर और बंदरों से मुक्ति की लिये नीतियां बननी चाहिये। राज्य में लोकसभा और राज्यसभा का परिसीमन जनसंख्या के स्थान पर क्षेत्रफल के आधार पर होना चाहिये और जिलों का नया परिसीमन कर नये जिले सृजित किये जाने चाहिए।

आंदोलनकारी रमेश दत्त नौटियाल, अशोक चौधरी, अजय पुंडीर, कृष्णानंद डिमरी ने कहा कि पहाड़ की जनता गैरसैंण के आलोक में उत्तराखंड के उन तमाम सवालों का उत्तर भी खोजने लगी है, जिन्होंने पिछले 18 सालों में यहां जनविरोधी नीतियों के चलते लोगों को पहाड़ से खदेड़ने के लिये मजबूर किया है। जनता इस बात को समझने लगी है कि गैरसैंण विकास के विकेन्द्रीकरण का रास्ता है। इसे पाने के लिये हमें गैरसैंण के साथ ही उन सभी सवालों के भी हल ढूंढने होंगे, जो इस पहाड़ी राज्य की अस्मिता के साथ जुड़े हैं।

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रेखा सेमवाल, शशि सेमवाल व मीना रावत ने कहा कि गैरसैंण राजधानी आंदोलन में महिला शक्ति संघर्ष समिति के साथ है। महिलाओं का एक संगठन तैयार कर इस लड़ाई को लड़ा जायेगा। गैरसैंण राजधानी बनने से ही पहाड़ का अस्तित्व बचेगा।

इस मौके पर लोक गायक विक्रम कप्रवाण और अजय नौटियाल ने गैरसैंण आंदोलन से संबंधित स्वरचित गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मण सिंह नेगी ने किया। इस मौके पर केपी ढौंडियाल, विनोद डिमरी, राय सिंह रावत, शत्रुघन सिंह नेगी, लाखीराम डिमरी, श्याम सिंह पंवार, परमानंद गौड़, मनबर सिंह, प्यार सिंह नेगी, विनय थपलियाल, लक्ष्मण सिंह, चन्द्रशेखर, नरेन्द्र सिंह, अनिल सिंह रावत, अर्जुन सिंह नेगी, राय सिंह रावत, विजयपाल सिंह कठैत, राजपाल सिंह, चरण सिंह, मस्तान सिंह राणा, आशीष तिवारी, जयदीप पांडे, विनोद सिंह, रुद्रदत्त उनियाल, राय सिंह बिष्ट, अजय सिंह, अंशी बिष्ट, गंभीर रावत, आशा देवी, तरूण पंवार, अर्जुन, जसोधर प्रसाद सेमवाल, बीबी ममगाई, सुंदर सिंह रावत, भूपेन्द्र राणा, प्रदीप कंडारी, रघुवीर सिंह नेगी, आसिफ, मोहसिन, गणेश सेमवाल, चन्द्रमोहन जुयाल, गोपाल सिंह राणा, भगवती प्रसाद गैरोला, विनोद खंडूडी, मधु ध्यानी, सुषमा पुरोहित, दीना बुटोला, मोहन सिंह सिंधवाल, कमला रावत, लक्ष्मी नेगी, भूपेन्द्र सिंह बिष्ट, विक्रम सिंह राणा, अनिल सिंह रावत, मकान सिंह बुटोला, जेएस बिष्ट, गुमान सिंह असपाल, गौरव नेगी, डाॅ राधेश्याम प्रसाद नौटियाल, केशव नौटियाल, सलमान खुर्शीद, अजय मोहन, शैलेन्द्र गोस्वामी, भूपेन्द्र जगवाण, कुलदीप राणा, कुलदीप बगवाड़ी, विक्रम कप्रवाण, संदीप सिंह, प्रदीप सेमवाल, विनोद पंवार, संदीप सिंह, प्रीतम सिंह पंवार, सचेन्द्र सिंह रावत आदि मौजूद थे।

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