उत्तराखंड

जंगलों में धधकती आग से प्रकृति और मानव को नुकसान: रावत

रोहित डिमरी

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष का सरकार को सुझाव

जंगलों में आग लगाने वाले व्यक्ति का वीडियो बनाने वाले को दिया जाय पच्चीस हजार का ईनाम

आग लगाने वाले के खिलाफ हो कठारे कार्रवाई

ग्रामीण इलाकों में शराब के प्रचलन को कराया जाय बंद

रुद्रप्रयाग- फायर सीजन शुरू होने से पहले ही जंगलों में धधकती आग से ग्रामीण जनता और शहरी इलाकों में परेशानियां बढ़ गयी हैं। जंगलों में लगी आग के धुंए से पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। पहले ही बरसात न होने के कारण प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख चुके हैं। ऐसे में अब जंगलों में बढ़ती आग ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। सरकार को इस ओर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। इसके लिए एक्ट बनाया जाना चाहिए और जो व्यक्ति जंगलों में आग लगा रहे हैं, उनके लिए कड़ा कानून बनाया जाय, जिससे भविष्य में कोई फिर से ऐसी गलती न करे।

यहां जारी विज्ञप्ति में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के कई इलाकों में फायर सीजन से पहले ही आग लगनी शुरू हो गयी है। जंगलों में लगी आग के कारण पेड़ और पत्थर सड़कों पर गिर रहे हैं। ऐसे में सड़क पर चलना किसी खतरे से खाली नहीं है। श्री रावत ने कहा कि जब जंगलों में हरियाली नहीं रहेगी, फिर ऐसे में पर्यटन प्रदेश का सपना बेकार है। कहा कि वनों में लगने वाली आग से भारी नुकसान पहुंच रहा है। एक ओर जंगल तबाह हो रहे हैं और दूसरी ओर वन्य जीवों को नुकसान पहुंच रहे हैं। जंगलों में लगी आग भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। ऐसे में एक दिन जहां वन्य जीवों की प्रजाति समाप्त हो जायेगी, वहीं दूसरी ओर जंगलों का भी नामोनिशान मिट जायेगा। जंगल में आग लगाने वाले व्यक्ति के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई अमल में लाई जानी जरूरी है। श्री रावत ने कहा कि वनो में आग लगने से नुकसान ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहरी इलाकों को भी होता है। प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख जाते हैं और पानी की समस्या गहरा जाती है। इसके अलावा वनों, वन्य जीव-जन्तुओं, पारिस्थितिक तंत्र और पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। कहा कि वनों में आग प्राकृतिक और मानव गतिविधियों के कारण लगती है, मगर दोनों ही कारणों से लाखों एकड़ का वन क्षेत्र प्रभावित हो जाता है। जहां वनों से लघु वन उपज एकत्रित करने वाले ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान होता है, वहीं इमारती लकड़ी से राज्य सरकार को मिलने वाला राजस्व भी प्रभावित होता है। प्राकृतिक कारणों से लगी आग की तुलना में 95 प्रतिशत आग की घटनाओं का संबंध मानव समुदाय से रहता है। मानव अपनी सोच और व्यवहार में सुधार लाकर वनों को आग से होने वाले नुकसान को कम कर सकता है। उन्होंने कहा कि वनो में लग रही आग के लिए मानव दोषी है। जो लोग वनो में आग लगाकर अपना फायदा समझते हैं, उन्हें यह मालूम नहीं है कि जंगलों में लगी आग का नुकसान हर व्यक्ति को उठाना पड़ता है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि वनो में आग लगाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कानून तैयार किया जाय। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि जो व्यक्ति वनो में आग लगाने वाले व्यक्ति की फोटो या वीडियो प्रशासन-शासन और सरकार को भेजेगा, उसे पच्चीस हजार का नगद ईनाम दिया जाय। ऐसे में आग लगाने वाले व्यक्तिों की धरपकड़ आसान हो जायेगी। वहीं दूसरी ओर भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदन सिंह रावत ने कहा कि शराब के कारण कई घर बर्बाद हो चुके हैं। ग्रामीण इलाकों में शराब का प्रचलन काफी बढ़ गया है। कोई भी मांगलिक कार्य हो, उसके लिए शराब की व्यवस्था पहले ही की जाती है। इन दिनों शादी-ब्याह का सीजन है और ग्रामीण क्षेत्रों में शराबियों का हुड़दंग मचा रहता है। शराब के कारण ग्रामीण माहौल भी खराब हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि ग्रामीण माहौल को सुधारने के लिए शराब पीने और पिलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाय। साथ ही शराब पीकर वाहन चलाने वाले चालकों और मालिकों पर भी सख्त कार्रवाई की जाय। श्री रावत ने कहा कि ऐसी कम्प्यूटर मशीन का प्रयोग किया जाय, जिससे पुलिस भी अपनी मनमानी न कर सके और शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों पर अंकुश भी लगे। उन्होंने कहा कि शराब के कारण परिवार में कलेश और जानमाल का खतरा बना रहता है। देवभूमि उत्तराखण्ड शराब प्रचलन के कारण बदनाम हो गया है। शराब बंदी से प्रदेश का चहुमुखी विकास हो सकता है और पर्यटक भारी संख्या में यहां पहुंचेंगे।

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