उत्तराखंड

उत्तराखंड विधानसभा का पहला सत्र आज से शुरू..

उत्तराखंड विधानसभा का पहला सत्र आज से शुरू..

राज्यपाल के अभिभाषण से होगा आगाज..

सदन पटल पर लेखानुदान पेश करेंगे मुख्यमंत्री..

 

 

 

 

 

पांचवीं विधानसभा का प्रथम सत्र मंगलवार यानी आज से शुरू होगा। राज्यपाल के अभिभाषण से सत्र का आगाज होगा। आज शाम को ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वित्तीय वर्ष 2022-23 का लेखानुदान सदन पटल पर रखेंगे। विधानसभा सत्र के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुबह 11 बजे राज्यपाल के अभिभाषण से सत्र की शुरूआत होगी। इसी दिन शाम को सरकार की ओर से लेखानुदान पेश किया जाएगा।

उत्तराखंड: प्रदेश की पांचवीं विधानसभा का प्रथम सत्र मंगलवार यानी आज से शुरू होगा। राज्यपाल के अभिभाषण से सत्र का आगाज होगा। आज शाम को ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वित्तीय वर्ष 2022-23 का लेखानुदान सदन पटल पर रखेंगे। विधानसभा सत्र के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुबह 11 बजे राज्यपाल के अभिभाषण से सत्र की शुरूआत होगी। इसी दिन शाम को सरकार की ओर से लेखानुदान पेश किया जाएगा। विधानसभा में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में पक्ष और विपक्ष ने सत्र के दौरान संसदीय कार्यवाही पर चर्चा की। कार्यमंत्रणा में एक दिन का एजेंडा तय किया गया।

बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक खजान दास, बसपा विधानमंडल दल के नेता मोहम्मद शहजाद मौजूद रहे। जबकि नेता प्रतिपक्ष का चयन न होने से कांग्रेस कार्यमंत्रणा में शामिल नहीं हुई। बैठक में तय किया गया कि मंगलवार को फिर से कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में एजेंडा तय किया जाएगा। इस अवसर पर विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल, विधायी के प्रमुख सचिव हीरा सिंह बोनाल समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

विधानसभा अध्यक्ष रितु भूषण खंडूड़ी का कहना हैं कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में पहली बार सदन को संचालित करना उनके लिए गौरवपूर्ण क्षण है। साथ ही उनके लिए चुनौती भी है। उन्होंने सदन के सभी सदस्यों से सत्र शांतिपूर्वक एवं सुचारु रूप से संचालित करने के लिए सहयोग की अपेक्षा की है। कहा कि प्रदेश के विकास व जनहित में उठाए गए मुद्दों पर सदन में सकारात्मक चर्चा होगी। सत्ता पक्ष व विपक्ष के सभी सदस्यों को साथ लेकर समान अवसर प्रदान किया जाएगा। मेरा प्रयास जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए लोकतांत्रिक संस्था को सशक्त बनाना होगा। नीतियों और कानून के निर्माण तथा जनहित से जुड़े विषयों के लिए सदन को व्यापक चर्चा का केंद्र बनाकर ही हम कार्यपालिका पर नियंत्रण रखते हुए जनकल्याण कर सकते हैं।

 

 

 

 

 

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