बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना रहा अधूरा..
उत्तराखंड : उत्तराखंड की स्थिति राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर कमोबेश सभी अन्य क्षेत्रों में भी बुरी स्थिति में है। पिछले 18 सालों में कई सरकारें आईं और चली गईं। पर्वतीय क्षेत्रों की सेहत तो पूरी तरह से भगवान के भरोसे है। पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाएं किसी से छुपी नहीं है। सड़कों व अन्य सुविधाओं के अभाव में आज भी सीमांत क्षेत्र के लोग कई किमी पैदल दूरी तय कर मरीज को अस्पताल तक पहुंचाते है। सीमांत क्षेत्र के लोगों के सारथी रहे और उनके दुखों को भलीभांति समझने वाला एक जनप्रतिनिधि का भी सपना था कि उसका बेटा भी डॉक्टर बन लोगों की सेवा करे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। बेटे की असमय मौत के बाद पिता का यह सपना हमेशा के लिए अधूरा रह गया।
वरिष्ठ पत्रकार व जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया के 21 वर्षीय बेटे दीपराज मर्तोलिया की बीते दिनों देहरादून में संदिग्धवस्था में मौत हो गई। दीपराज का शव लच्छीवाला फ्लाईओवर से आगे जंगल में रेलवे ट्रैक के पास से खून से लथपथ अवस्था में मिला। पुलिस प्रथमदृष्टया इसे आत्महत्या का मामला बता रही है।
दीपराज दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। बताया जा रहा कि वह रविवार की दोपहर अचानक घर से लापता हो गया था। जिसकी गुमशुदगी पटेल नगर थाने में पुष्पा मर्तोलिया की ओर से दर्ज कराई गई थी। दीपराज के पिता जगत मर्तोलिया वर्तमान में सरमौली, मुनस्यारी से जिला पंचायत सदस्य है। वह सीमांत क्षेत्र के लोगों की आवाज के रूप में पहचाने जाते है।
लंबे समय से सीमांत क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार व अन्य समस्याओं व मुद्दों के लिए लड़ रहे जगत मर्तोलिया की हसरत थी कि उनका बेटा डॉक्टर बन क्षेत्र की लोगों की सेवा करेगा। बचपन से मेधावी छात्र रहे दीपराज ने पिता के सपने को पूरा करने के लिए 12वीं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के बाद एमबीबीएस में दाखिला लिया। वह दून मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष का छात्र था।
पिता का सपना पूरा होने का वक्त नजदीक आया ही था कि, उससे पहले बेटे की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया और पिता का संजोया सपना हमेशा के लिए सपना बनकर ही रह गया। दीपराज के निधन से मुनस्यारी समेत पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। गांव में मातम पसरा हुआ है।