उत्तराखंड

विदेश छोड़कर अपने गांव लौटा ये युवक, शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती..

विदेश छोड़कर अपने गांव लौटा ये युवक, शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती..

उत्तराखंड: कहते हैं न कि कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती। इसका एक जीता जागता उदहारण हैं। ऊधमसिंहनगर के रहने वाले युवा किसान जतिन सिंघल। इन्होंने बाजपुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है, जो कि उनके लिए आमदनी का बढ़िया जरिया बनने जा रही है। जतिन बाजपुर में रहते हैं। उन्होंने अमेरिका में रहकर वायरलेस टेक्नोलॉजी की पढ़ाई की है। जतिन चाहते तो विदेश में अच्छी सैलरी पर जॉब कर सकते थे, लेकिन वो अपने देश में रहकर ही कुछ अलग करना चाहते थे। पढ़ाई दौरान उनके मन में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का ख्याल आया।

 

जतिन ने इंटरनेट पर ड्रैगन फ्रूट की खेती संबंधी जानकारी जुटाई और फिर साल 2018 में गुजरात से ड्रैगन फ्रूट के पौधे लाकर अपने खेतों में रोप दिए। जतिन ने एक हेक्टेयर क्षेत्र में 1300 पिलरों पर 5200 पौधे लगवाए हैं। एक साल बाद ही इन पौधों में फल आने लगे थे। ड्रैगन फ्रूट औषधीय गुणों से भरपूर होता है। जतिन का कहना हैं कि फिलहाल ये फल आमतौर पर विदेश से आयात होता है। इस फल का भारत में उत्पादन मांग का 15 प्रतिशत भी नहीं है। इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय हो सकती है।

 

इस खेती के लिए एक वर्ष का प्रारंभिक खर्चा करीब 12 लाख प्रति हेक्टेयर है। देखरेख आदि मिलाकर करीब दो लाख रुपये प्रति वर्ष अलग से खर्चा आता है। लागत के मुकाबले आमदनी ज्यादा है। दूसरे से तीसरे वर्ष में प्रति हेक्टेयर आमदनी 10 से 12 लाख हो सकती है, जबकि तीसरे-चौथे साल में 12 से 15 लाख तक की आमदनी आसानी से हासिल की जा सकती है। एक बार प्लांट लगाने पर इसका फायदा 20 से 25 साल तक मिलता है।

 

जतिन के खेतों में लगे पौधे इस साल जून के बाद फल देने लगेंगे। वो बताते हैं कि बाजार में ये फल ढाई सौ से तीन सौ रुपये प्रति किलो बिकता है। इस तरह अगर कोई इसे डेढ़ सौ रुपये किलो के भाव पर भी बेचे तो एक प्लांट से 15 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है। साथ ही जतिन ड्रैगन फ्रूट के फायदे भी बताते हैं। यह प्राकृतिक गुणों से भरपूर एक ऐसा फल है, जो कोरोना संक्रमण और डेंगू बुखार दोनों से बचाने में सहायक है। ड्रैगन फ्रूट को इसकी मल्टीपल खूबियों के कारण सुपरफूड भी कहा जाता है।

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