उत्तराखंड

अतीत के पन्नों में सिमट जाएगा दून का ऐतिहासिक कनॉट प्लेस..

अतीत के पन्नों में सिमट जाएगा दून का ऐतिहासिक कनॉट प्लेस..

1930 में हुआ था इसका निर्माण..

 

 

 

 

 

 

 

 

देहरादून के चकराता रोड पर कनॉट प्लेस स्थित एलआईसी बिल्डिंग को खाली कराने के नोटिस के बाद हड़कंप की स्थिति है। एलआईसी ने कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बिल्डिंग को खाली कराने के लिए पुलिस-प्रशासन की मदद मांगी है

 

उत्तराखंड: देहरादून के चकराता रोड पर कनॉट प्लेस स्थित एलआईसी बिल्डिंग को खाली कराने के नोटिस के बाद हड़कंप की स्थिति है। एलआईसी ने कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बिल्डिंग को खाली कराने के लिए पुलिस-प्रशासन की मदद मांगी है। पहले चरण में 14 संपत्तियां (आवास और दुकानें) खाली कराई जानी हैं। पुलिस ने 14 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया है।

आपको बता दे कि इस मार्केट की बिल्डिंग को साल 1930 में बनवाया गया था। यह बिल्डिंग देहरादून की एक ऐसी विरासत है जिसने सालों का इतिहास देखा है, जो कि कई ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह है। मगर अब इसे गिराने की तीतरी शुरू कर दी गई है। 82 सालों से देहरादून की पहचान कनॉट प्लेस मार्केट अब मिट्टी में मिला दी जाएगी। देश में जब ब्रिटिश काल था तब इस बिल्डिंग का निर्माण किया गया था।

इस बिल्डिंग को देहरादून के नामी-गिरामी धनी और बैंकर रहे सेठ मनसाराम ने कराया था। इस कनॉट प्लेस की बिल्डिंग के अलावा भी उन्होंने देहरादून में कई इमारतों का निर्माण कराया था। इस ऐतिहासिक इमारत को बनाने का सपना, सेठ मनसाराम ने दिल्ली में स्थित कनॉट प्लेस की बिल्डिंगों की डिजायन से प्रभावित होकर तैयार किया था। इस बिल्डिंग को बनाने के लिए सेठ मनसाराम ने बॉम्बे से आर्किटेक को बुलाया था, और इसके निर्माण के लिए सेठ मनसाराम ने भारत इंश्योरेंस से एक लाख 25 हजार रूपये लोन लिया था।

1930 से 40 के दशक में देहरादून की ये पहली इमारत थी, जिसको तीन मंजिला तैयार किया गया था। इसे पकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बनाया गया था, ताकि वे यहां आकर व्यापार कर सकें। 40 के दशक में तैयार हुई इस ऐतिहासिक इमारत में 150 से अधिक भवन और 70 से ज्यादा दुकाने बनाई गई थीं। बिल्डिंग तैयार होने के बाद सेठ मनसाराम भारत इंश्योरेंस का 1 लाख 25 हजार का लोन वापस नहीं कर पाए और बैंक करप्ट हो गये।

जिसके बाद उनकी कई सम्पति को भारत इन्स्योरेंश कम्पनी ने अपने कब्जे में ले लिया था जिसमे देहरादून के कनॉट प्लेस भी शामिल है, जो बाद में LIC के पास चली गई और तब से अब तक इमारत में रहने वाले लोगों और LIC के बीच द्वंद्व चल रहा है। मगर अब सालों का इतिहास समेटी इस बिल्डिंग का अंतिम वक्त नजदीक आ गया है। 14 सितम्बर को इस बिल्डिंग को खाली करवाने के साथ ही इसे जमींदोज करने की कार्यवाही भी शुरू होगी और कई सदी के इतिहास का गवाह देहरादून का कनॉट प्लेस का वजूद मिट कर महज यादों तक ही सिमट कर रह जाएगा।

 

 

 

 

 

 

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