उत्तराखंड

आखिर कौन कर रहा भाजपा के जिला पंचायत सदस्यों को गुमराह..

आखिर कौन कर रहा भाजपा के जिला पंचायत सदस्यों को गुमराह..

ऐसी क्या आफत आन पड़ी थी कि सदस्यों को रात के अंधेरे में देना पड़ा अविश्वास पत्र..

अपनी ही पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ क्यों मुखर हो गये हैं सदस्य..

जिन सदस्यों ने कुर्सी पर बिठाया, आज वह कुर्सी छीनने की कर रहे कोशिश..

 

 

रुद्रप्रयाग। जिले में चार भाजपा जिला पंचायत सदस्यों की ओर से अपनी ही पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ बगावत करने से चर्चाओं का बाजार गर्म है। इन दिनों चारों ओर एक ही चर्चा चल रही है कि आखिर क्यों रात के अंधेरे में पंचायत सदस्यों ने डीएम को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा और अविश्वास की जानकारी पहले अपर मुख्य अधिकारी तथा जिला पंचायत अध्यक्ष को क्यों नहीं दी। ऐसी क्या आफत आन पड़ी थी कि सदस्यों को रात के समय ही डीएम को मिलकर अविश्वास प्रस्ताव सौंपना पड़ा।

बता दें कि शनिवार की रात साढ़े आठ बजे विरोधी दल के नेता सुमंत तिवारी के नेतृत्व में भाजपा के चार सदस्य व कांग्रेस के सात सदस्यों के साथ ही तीन निर्दलीय सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए डीएम को अविश्वास पत्र सौंपा। यह खबर आग की तरह फैल गई और अब हर व्यक्ति के जेहन में एक ही सवाल आ रहा है कि आखिर वह कौन सी वजह थी कि सदस्यों को रात के अंधेरे में ही जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ डीएम को अविश्वास पत्र सौंपना था।

 

उस दिन डीएम भी कहीं बिजी नहीं थे और अपने कार्यालय में बैठकर प्रशासनिक कार्यो को निपटा रहे थे। सुबह से सांय पांच बजे तक के समय में डीएम से मुलाकात की जा सकती थी और अविश्वास पत्र सौंपा जा सकता था, लेकिन सदस्यों ने अविश्वास पत्र रात के अंधेरे में कैंप कार्यालय में डीएम को सौंपा।

सदस्यों के इस तरह रात के अंधेरे में डीएम को अविश्वास पत्र सौंपे जाने से जिले की जनता भी सोच में पड़ गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ही अपर मुख्य अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं थी कि ऐसा कुछ होने वाला है। जिला पंचायत अध्यक्ष और अपर मुख्य अधिकारी केदारनाथ यात्रा व्यवस्थाओं में लगे रहे और पीठ पीछे सदस्यों ने यह कारनामा कर दिया। इन सदस्यों में चार भाजपा व सात कांग्रेस के साथ ही तीन निर्दलीय शामिल हैं और बताया जा रहा है दो अन्य निर्दलीय सदस्य भी विरोधी दल के खेमे में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष को दिक्कत हो जायेंगी और उन्हें बड़ी रणनीति के तहत कार्य करना होगा।

वैसे जिला पंचायत अध्यक्ष को अपनी कुर्सी बचाने के लिए छः सदस्यों की जरूरत है, जिसमें एक वह स्वयं हैं, जबकि पांच अन्य की जरूरत है। जिले में 18 जिला पंचायत सदस्य हैं, जिनमें 14 ने अध्यक्ष के खिलाफ बगावत कर दी है। विपक्षी खेमे के नेता सुमंत तिवाड़ी के नेतृत्व में अविश्वास पत्र डीएम को सौंपा गया है, जबकि जिस समय जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए घमासान चल रहा था, उस समय सुमंत तिवाड़ी के कहने पर अन्य चार सदस्यों ने अमरदेई शाह का साथ दिया था।

इनमें शीला रावत, विनोद राणा, सुमन नेगी एवं गणेश तिवाड़ी शामिल हैं। अब सिर्फ शीला रावत व सुनिता बत्र्वाल ही ऐसी निर्दलीय सदस्य बची हैं, जो अविश्वास पत्र में शामिल नहीं हैं, जबकि एक सदस्य भाजपा के हैं। कुल मिलाकर जिस समय अध्यक्ष की कुर्सी के लिए भाजपा ने अमरदेई शाह का नाम आगे किया, उस समय पांच और सदस्यों की जरूरत थी और उनकी इस जरूरत को सुमंत तिवाड़ी ने पूरा किया, लेकिन आज सुमंत तिवाड़ी विरोधी दल के नेता बनकर अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं, जो सवाल बना हुआ है।

हैरत में है भाजपा जिला संगठन

भाजपा के चार सदस्यों द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोले जाने के बाद से भाजपा का जिला संगठन हैरत में है और यह समझ नहीं पा रहा है कि आखिर इन सदस्यों को चाहिए क्याघ् सदस्यों ने अविश्वास पत्र में हस्ताक्षर करने से पहले एक बार भी संगठन के सामने अपनी समस्या को नहीं रखा और ना ही जिला पंचायत अध्यक्ष को अपनी समस्या बताई।

 

सीधे रात के अंधेरे में डीएम को अविश्वास पत्र सौंपा गया। भाजपा से जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट, सविता भंडारी, भूपेन्द्र लाल व मंजू सेमवाल ने जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास पत्र में हस्ताक्षर किये हैं, जबकि कांग्रेस से गणेश तिवाड़ी, कुलदीप सिंह, रेखा बुटोला, ज्योति देवी, बबीता सजवाण, नरेन्द्र बिष्ट, कुसुम देवी के अलावा निर्दलीय सुमंत तिवाड़ी, सुमन नेगी व विनोद राणा के हस्ताक्षर भी शामिल हैं। कांग्रेस सदस्यों का पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ होना, यह साफ पता चलता है, लेकिन भाजपा सदस्यांे का अपनी ही अध्यक्ष के खिलाफ होना, किसी के गले नहीं उतर रहा है।

अभी ढाई साल का बचा है कार्यकाल

जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल अभी ढाई साल का बचा है और अध्यक्ष के खिलाफ सदस्यों ने अविश्वास पत्र डीएम को सौंपकर कार्यवाही की मांग की है। अभी 14 सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, लेकिन तीन सदस्य अभी भी जिला पंचायत अध्यक्ष के समर्थन में हैं। अब अध्यक्ष को दो सदस्यों की ही जरूरत है, जो अविश्वास पत्र के खिलाफ अध्यक्ष का साथ दें।

अगर जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास पत्र पर कार्यवाही होती है तो ज्योति देवी व कुसुम देवी में एक एससी महिला का अध्यक्ष बनना तय है, मगर यह भी सच है कि यदि अमरदेई शाह कुर्सी से हट जाती हैं तो जिले के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब अपने ही सदस्यों से अध्यक्ष को कुर्सी से हाथ धोना पड़ेगा।

शपथ पत्रों की जांच के बाद होगी आगे की कार्यवाही

मामले में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ सदस्येां की ओर से सौंपे गये शपथ पत्रों की जांच की जायेगी। पहले यह पता किया जायेगा कि इन 14 सदस्यों में किसी सदस्य के शपथ पत्र में हस्ताक्षर फर्जी तो नहीं हैं। साथ ही यह भी पता लगाया जायेगा कि आखिर किसी के दबाव में सदस्यों ने यह निर्णय तो नहीं लिया। सभी मामलों की जांच के बाद आगे का निर्णय लिया जायेगा।

 

 

 

 

 

कहीं अविश्वास के पीछे कोई बड़ी महत्वकांक्षा तो नहीं

जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ 14 सदस्यों के मोर्चा खोले जाने के बाद से जिले में चर्चाएं तेज हो गयी हैं। लोगों की ओर से तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। गली-चैराहों पर यही बात की जा रही है कि आखिर इन सदस्यों को जिला पंचायत अध्यक्ष से नाराजगी क्या थी, जो रात के अंधेरे में डीएम को अविश्वास पत्र सौंपा गया। एक एससी महिला अध्यक्ष के खिलाफ इस तरह का षड़यंत्र क्यों रचा जा रहा है।

 

यहां तक लोग चर्चाएं कर रहे हैं कि सदस्यों की महत्वकांक्षाओं को अध्यक्ष शायद पूरा नहीं कर पाई, जिस कारण आज उन्हें यह दिन देखना पड़ रहा है। अगर अध्यक्ष के खिलाफ कोई नाराजगी थी तो अपनी समस्या को जिलाधिकारी व अपर मुख्य अधिकारी के सामने रखी जा सकती थी। ऐसा नहीं कि रात के अंधेरे में चोरों की तरह अविश्वास पत्र डीएम को सौंप दिया जाए। वहीं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास लाने के पीछे सदस्यों की बहुत बड़ी महत्वकांक्षा भी बताई जा रही है, जिसे पूरा करवाने के लिए वे इस तरह के कृत्य को कर रहे हैं।

संदेह के घेरे में हैं सदस्यों की ओर से उठाए गए सवाल

जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के खिलाफ डीएम को सौंपे अविश्वास पत्र में सदस्यों ने जो समस्याएं बताई हैं, वह भी संदेह के घेरे में हैं। सदस्यों ने अविश्वास पत्र में बताया है कि वे अध्यक्ष की मनमानी से परेशान हैं और बोर्ड की बैठकों में उनको बिना पूछे निर्णय लिये जा रहे हैं। इसके साथ ही सोनप्रयाग स्थित पार्किंग में बिस्तर लगाने और घोडे़-खच्चरों में गद्दी लगाने को लेकर टेंडर नहीं निकाले गये, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि जिस व्यक्ति को सोनप्रयाग की पार्किंग का टेंडर दिया गया और किसी व्यक्ति ने पार्किंग में बिस्तर लगा दिये तो, जिस व्यक्ति को पार्किंग दी गई थी, उसने इस मामले को क्यों नहीं उठाया।

 

 

इसके अलावा घोड़े-खच्चरों में लगाई जा रही गद्दी को लेकर अनुमोदन किया गया था और यात्रा शुरू होने में कम समय होने के कारण टेंडर प्रक्रिया नहीं हो पाई और अनुभव व्यक्ति को यह कार्य दिया गया। जिस कमेटी के जरिये यह कार्य सौंपा गया, उसमें डीएम एवं सीडीओ भी शामिल हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब सभी कार्य पारदर्शिता से किये जा रहे हैं तो इससे सदस्यों को क्या परेशानी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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