उत्तराखंड

युवा उत्तराखंड की थीम पर धामी ने सजाई रणभूमि..

युवा उत्तराखंड की थीम पर धामी ने सजाई रणभूमि..

समय कम और ये है बड़ी चुनौती..

 

 

 

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2022 की चुनौती को ध्यान में रखकर अपना नया एजेंडा तय कर लिया है। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने करीब डेढ़ दर्जन महत्वपूर्ण घोषणाओं के केंद्र में छात्राओं, किशोरियों, महिलाओं, युवाओं, स्वास्थ्य और पर्यटन को रखा। आमजन से जुड़ाव के लिए सुशासन प्राथमिकता रहने वाला है।

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार के विजन के साथ ताल मिलाकर धामी ने राज्य का अगला चुनाव युवा उत्तराखंड की थीम पर ही लड़ने के लिए जंग का मैदान सजा दिया है। राज्य विधानसभा चुनाव से महज चंद महीने पहले मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी के लिए चुने गए पुष्कर सिंह धामी ने तकरीबन चार महीने के कार्यकाल में सरकार और संगठन के भरोसे को कायम रखा है।

आपको बता दे कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की शाबासी पाने में मिली कामयाबी के बाद धामी राजनीतिक पारी को लेकर आत्मविश्वास दिखाने लगे हैं। राज्य स्थापना दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने घोषणाओं की झड़ी लगाने से गुरेज तो किया, लेकिन राज्य की ज्वलंत समस्याओं के समाधान की ललक का रोडमैप सामने रखा।

 

 

 

मुख्यमंत्री धामी 2025 में रजत जयंती की ओर कदम बढ़ा रहा उत्तराखंड आमजन खासतौर पर किशोरियों, महिलाओं और गर्भवती महिलाओं को सेहतमंद देखना चाहता है। महिला मतदाताओं में मोदी के प्रति रुझान को भांपकर धामी ने महिला कल्याण पर जोर दिया। छात्राओं की शिक्षा केंद्र सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है। उत्तराखंड में इसे मूर्त रूप देने के लिए छात्रावास बनाने से दूरस्थ पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं का ड्रापआउट रेट गिरने में मदद मिल सकती है।

 

जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने को ईजा-बोई शगुन योजना और किशोरियों मुफ्त स्वास्थ्य संबंधी जांच के पीछे विषम परिस्थितियों वाले राज्य को सतत विकास के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ाने के संकेत हैं। युवाओं के लिए विदेश रोजगार प्रकोष्ठ का गठन, खेल नीति, पर्यटन व स्वास्थ्य क्षेत्र में नई पहल घोषणाओं में है। सुशासन केंद्र सरकार और भाजपा का मुख्य एजेंडा रहा है। धामी ने अपणि सरकार पोर्टल में इसके लिए संकल्प जताया है।

 

मुख्यमंत्री ने घोषणाओं के माध्यम से नई उम्मीदें जगाई तो हैं, लेकिन सरकारों की घोषणाओं को लेकर राज्यवासियों के अनुभव अभी तक बहुत अच्छे नहीं रहे। ऐसे में कम समय में मुख्यमंत्री को जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती से भी निपटना होगा।

 

 

 

 

 

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