दुखदः बच्ची की शारदा नदी में डूबकर मौत, पैर फिसलने से हुआ हादसा…
शारदा घाट पर बस खड़ी कर पैदल जा रहे थे….
समय पर उपचार मिलता को बच सकती थी कोमल की जान….
उत्तराखंड : मां पूर्णागिरि के दर्शन के लिए परिजनों के साथ आई बुलंदशहर की दस वर्षीय बच्ची शारदा नदी में डूब गई। उसके चाचा और ममेरे भाई ने जान पर खेलकर उसे बाहर निकाला। तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई। बुलंदशहर जिले के रामनगर डिवाई निवासी यशपाल की पत्नी पूजा देवी, दस साल की बेटी कोमल और बारह साल का बेटा सोजल रिश्तेदारों के साथ मां पूर्णागिरि के दर्शन करने शुक्रवार सुबह टनकपुर पहुंचे।
शारदा घाट पर स्नान के बाद सभी लोग नदी किनारे टनकपुर-बूम पैदल मार्ग से पूर्णागिरि जा रहे थे। उचौलीगोठ के पास प्यास लगने पर कोमल शारदा नदी में पानी पीने लगी। इस दौरान अचानक उसका पैर फिसल गया और वह नदी में डूब गई।
कोमल की मां और अन्य रिश्तेदार घटनास्थल से आगे निकल गए थे, जबकि कोमल के साथ ममेरा भाई राजू और चाचा विजय सिंह थे। कोमल के डूबते ही इन दोनों ने उसे बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी। दोनों को तैरना नहीं आता था। दोनों किसी तरह कोमल को नदी से निकाल लाए। बेहोश कोमल को लेकर सड़क पर पहुंचे और एक टैक्सी चालक ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुकी थी। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।
मासूम कोमल को समय पर उपचार मिल जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी, लेकिन मेले में न तो उपचार की सुविधा थी और न ही सुरक्षा के इंतजाम। डूबने के करीब पांच मिनट के अंदर ही परिजनों ने कोमल को नदी से बाहर निकाल लिया था, लेकिन घटनास्थल से सड़क तक पहुंचने और फिर टैक्सी से अस्पताल पहुंचने में ज्यादा समय लगने से मासूम की जान चली गई। राजू ने बताया कि नदी से निकालने के बाद कोमल की नब्ज चल रही थी। रास्ते में भी चेक किया तो वह जिंदा थी, लेकिन अस्पताल पहुंचे तो डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
कोमल के परिजन और रिश्तेदार भी प्राइवेट बस से आए थे, लेकिन किसी ने उनसे कहा कि नदी के पास तक बस जाने पर प्रतिबंध लगा है। इस पर उन्होंने शारदा घाट पर बस खड़ी कर टनकपुर से बूम तक शारदा किनारे-किनारे पैदल रास्ते से पूर्णागिरि जाने का फैसला लिया, जबकि प्राइवेट बसें बूम पार्किंग स्थल तक जा रही है।