लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज होगी चारधाम यात्रा..
एक बार ही मिलेगी एक तीर्थयात्री को आने की अनुमति..
चारधाम यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को अगले साल से केवल एक बार ही अवसर मिलेगा। उन्हें साल में एक बार ही चारधाम की यात्रा करने की अनुमति होगी। सतपाल महाराज ने अधिकारियों को यात्रियों के पंजीकरण की व्यवस्था में बदलाव करने और इसे आधार संख्या से जोड़ने के भी निर्देश दिए।
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को अगले साल से केवल एक बार ही अवसर मिलेगा। उन्हें साल में एक बार ही चारधाम की यात्रा करने की अनुमति होगी। सतपाल महाराज ने अधिकारियों को यात्रियों के पंजीकरण की व्यवस्था में बदलाव करने और इसे आधार संख्या से जोड़ने के भी निर्देश दिए। महाराज का कहना हैं कि चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार तीर्थयात्रियों की संख्या का नया रिकॉर्ड बना है।
इसके आधार पर सरकार चारधाम यात्रा को लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए प्रयास करेगी। शुक्रवार को पर्यटन मंत्री ने गढ़ी कैंट स्थित उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद में पर्यटन विकास योजनाओं और शीतकालीन यात्रा की तैयारियों को लेकर बैठक की।
महाराज का कहना हैं कि शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए 2014 में शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की गई थी। सरकार साल भर पर्यटन की गतिविधियों को बनाए रखने के प्रयास में शीतकालीन यात्रा पर जोर दे रही है। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन प्रवास मुखबा, यमुनोत्री के खरसाली, केदारनाथ के ऊखीमठ और बद्रीनाथ जी का जोशीमठ व पांडुकेश्वर में प्रवास होता है। जो श्रद्धालु चारधामों में नहीं जा पाते हैं, वे शीतकालीन प्रवासों में पूजा अर्चना व दर्शन करने आते हैं।
कपाट बंद होने तक संख्या 45 लाख तक पहुंचने की उम्मीद..
शीतकालीन प्रवासों में श्रद्धालुओं के लिए सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। पर्यटन मंत्री का कहना हैं कि 42 लाख से अधिक तीर्थयात्री पहले ही चारधाम यात्रा कर चुके हैं। जो यात्रा के इतिहास में रिकॉर्ड है। इसके आधार पर चारधाम यात्रा को लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाएगा। चारधामों के कपाट बंद होने तक यह संख्या 45 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। बाबा अमरनाथ की तर्ज पर चमोली जिले के नीती घाटी स्थित टिंबरसैंण महादेव की यात्रा को बढ़ावा दिया जाए।
प्रदेश में नए वेडिंग डेस्टिनेशन विकसित करने के निर्देश..
आपको बता दे कि महाराज ने रुद्रप्रयाग जिले में स्थित शिव और पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए किए जा रहे कार्यों की भी जानकारी ली। उन्होंने प्रदेश के अन्य स्थानों को भी वेडिंग डेस्टिनेशन विकसित करने के निर्देश दिए। साथ ही गुरु गोरखनाथ ट्रेक में पड़ने वाले मंदिरों का भी सर्किट विकसित करने को कहा।