उत्तराखंड

एक अप्रैल से कबाड़ हो जाएंगे प्रदेश के 5500 सरकारी वाहन..

एक अप्रैल से कबाड़ हो जाएंगे प्रदेश के 5500 सरकारी वाहन..

केंद्रीय मोटर यान नियम की अधिसूचना लागू..

 

 

 

 

 

 

 

1 अप्रैल से प्रदेश में सरकारी विभागों, निगमों, निकायाें, परिवहन निगम, विभाग, स्वायत्त संस्थाओं के 5500 वाहन 01 अप्रैल से कबाड़ बन जाएंगे। इन वाहनों की आरसी का नवीनीकरण नहीं होगा।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: 1 अप्रैल से प्रदेश में सरकारी विभागों, निगमों, निकायाें, परिवहन निगम, विभाग, स्वायत्त संस्थाओं के 5500 वाहन 01 अप्रैल से कबाड़ बन जाएंगे। इन वाहनों की आरसी का नवीनीकरण नहीं होगा। केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय मोटर वाहन (प्रथम संशोधन) नियम 2023 की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है। इसके दायरे में आने वाले वाहनों को खरीदने के बजाय सरकार को वाहनों को किराए पर देने या नए खरीदने पर 300-550 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।

स्क्रैप नीति के तहत मोटर वाहन अधिनियम में बदलाव का संशोधन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दिसंबर में जारी किया गया था, और सभी राज्यों से उनकी राय मांगी गई थी। उत्तराखंड द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, 5500 वाहनों के कबाड़ में जाने के बजाय नीलाम किया गया तो अपेक्षाकृत11 करोड़ का नुकसान होगा। वहीं दस लाख प्रति वाहन के हिसाब से देखें तो नए वाहन खरीदने को राज्य को 550 करोड़ की आवश्यकता होगी। इस बीच परिवहन मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर यान (प्रथम संशोधन) नियम 2023 की अधिसूचना जारी कर दी है जो कि एक अप्रैल 2023 से प्रभावी हो जाएगी।

तीन कबाड़ केंद्र बनाए जा रहे..

इसके बाद किसी भी 15 साल से पुराने सरकारी वाहन का नवीनीकरण नहीं होगा। उसे कबाड़ में देना होगा, जिसके लिए हर जिले में तीन कबाड़ केंद्र बनाए जा रहे हैं। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह का कहना हैं कि नई नीति के तहत एक अप्रैल से 15 साल से अधिक पुराने वाहनों का रिन्यूअल नहीं होगा। वह स्क्रैप में ही जाएंगे।

इतने सरकारी वाहन होंगे कबाड़

श्रेणी-15-20 साल पुराने-20 साल से ऊपर

राज्य सरकार-1744-998

स्थानीय निकाय-11-06

परिवहन निगम/विभाग-02-01

विभिन्न निगम-1399-1327

स्वायत्त संस्थाएं-01-0

कुल-3157-2332

यह हैं दुश्वारियां

1- 5500 वाहनों के कबाड़ बनने के बाद सभी विभागों को नए वाहन खरीदने होंगे। एक वाहन की औसत कीमत 10 लाख मानें तो राज्य को 550 करोड़ की जरूरत होगी।

2- अगर नए वाहन न खरीदें और किराए पर 5500 वाहन चलाए जाएं तो एक वाहन का औसत 55000 खर्च मानते हुए इतने वाहनों का करीब 300 करोड़ रुपये किराए पर खर्च होगा।

3- जिन विभागों में पहले से ड्राइवर तैनात हैं या फिर लगातार भर्तियां हो रही हैं, वहां किराए पर वाहन चलाने से वह खाली हाथ हो जाएंगे। उनके लिए नौकरी का संकट पैदा हो जाएगा।

व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस एक अप्रैल से अनिवार्य..

स्क्रैप पॉलिसी के तहत एक अप्रैल 2023 से सभी तरह के भारी व्यावसायिक वाहनों को अनिवार्य तौर पर फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा, जबकि प्राइवेट वाहनों के लिए यह व्यवस्था जून 2024 से लागू होगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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