उत्तराखंड

दिव्यांग बहन को ऐसे बोर्ड परीक्षा दिला रहा भाई, बना सभी भाइयों के लिए मिसाल..

दिव्यांग बहन को ऐसे बोर्ड परीक्षा दिला रहा भाई, बना सभी भाइयों के लिए मिसाल..

किराए पर कमरा और डोली का सहारा लेकर परीक्षा केंद्र ले जा रहा भाई..

 

 

 

 

 

एक भाई बहन को डोली पर बैठाकर अमूमन तब विदा करता है जब उसकी शादी हो। लेकिन पिथौरागढ़ जिले के चमाली गांव के भाई अपनी दिव्यांग बहन को डोली में बैठाकर उसे परीक्षा केंद्र तक पहुंचा रहे हैं।

 

 

उत्तराखंड: कहते हैं ना कि अगर भाई बड़ा हो तो पिता का फर्ज निभाने में पीछे नहीं हटता और अपना सर्वस्व लुटाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है ,बहन के लिए, हर बहन चाहती है कि उसे ऐसा भाई मिले जो बहन की तकलीफ में हमेशा साथ खड़ा रहे। पति के बाद अगर औरत किसी इंसान पर सबसे ज्यादा भरोसा करती है वह भाई ही होता है जो कठिन परिस्थितियों में भी बहन का दामन नहीं छोड़ता। वही बहने भी बड़े भाई को पिता का दर्जा देती हैं पिता के जाने के बाद वह सारे कर्तव्य तो निभाता ही है पिता के रहते भी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटता बहन हो या भाई बड़ा भाई हमेशा अपनी जिम्मेदारियों को निभाता है बशर्ते भाई और बहन भी उसे समझते रहे,भाई बहन का तो प्यार अजीबोगरीब होता ही है जब भाई और बहन हमजोली होते हैं तो उनकी शरारतों से घर की दीवारें भी बोलने लगती है भाई बहन का रिश्ता ही ऐसा होता है। ऐसे ही एक भाई की सराहना आजकल हर कोई कर रहा हैं।

 

एक भाई बहन को डोली पर बैठाकर अमूमन तब विदा करता है जब उसकी शादी हो। लेकिन पिथौरागढ़ जिले के चमाली गांव के भाई अपनी दिव्यांग बहन को डोली में बैठाकर उसे परीक्षा केंद्र तक पहुंचा रहे हैं। बहन 10वीं की बोर्ड परीक्षा दे रही है। दिव्यांग बहन के सपनों को पंख लगाने के लिए भाइयों के इस कदम की चारो ओर सराहना हो रही है। चमाली गांव निवासी पारस कोहली, उनकी बहनें सानिया और संजना जीआईसी चमाली में पढ़ते हैं। पारस और सानिया 12वीं जबकि संजना 10वीं की बोर्ड परीक्षा दे रही हैं। आपको बता दे कि दिव्यांग संजना चलने-फिरने में असमर्थ है। परीक्षा केंद्र उनके गांव से 14 किमी दूर जीआईसी शैलकुमारी में है। परीक्षा के लिए संजना, पारस और सानिया ने लोधियागैर में कमरा लिया है। संजना को यहां से करीब आधा किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र ले जाने के लिए पारस, सानिया और उनके रिश्तेदार आकाश डोली का सहारा लेते हैं।

जीआईसी शैलकुमारी के प्रधानाचार्य भुवन प्रकाश उप्रेती का कहना है कि संजना को परीक्षा के दौरान कोई दिक्कत ना हो इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। मुख्य शिक्षा अधिकारी जितेंद्र सक्सेना ने कहा कि बच्ची का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। परीक्षा में उसे एक घंटे का अतिरिक्त समय दिया जा रहा है।

संजना का कहना हैं कि उनके पापा गोविंद राज का छह साल पहले निधन हुआ था। वह छोलिया नर्तक थे। पिता के निधन के बाद परिवार को चलाना काफी मुश्किल हो गया। उनकी मां प्राथमिक विद्यालय डुंगरी में भोजन माता हैं। संजना की बड़ी बहन सानिया और बड़े भाई पारस का कहना है कि उनकी बहन शिक्षक बनना चाहती है। दिव्यांगता उसके सपने को पूरा करने में आड़े नहीं आए इसलिए वह डोली से बहन को स्कूल पहुंचाकर उसके सपने साकार करना चाहते हैं।

 

 

 

 

 

 

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