उत्तराखंड

भगवान केदारनाथ के रक्षक भैरवनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद..

मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने की विशेष पूजा-अर्चना..

भैरवनाथ के पश्वा ने श्रद्धालुओं को दिया आशीष..

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधि-विधान के साथ शीतकाल के छह माह के लिए बंद कर दिए है। केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने से पहले भैरवनाथ के कपाट मंगलवार व शनिवार को बंद होने की परम्परा है। इस अवसर पर भैरवनाथ के पश्वा ने अवरित होकर भक्तों को आशीर्वाद दिया।

बता दें कि भगवान केदारनाथ के कपाट 16 नवंबर को बंद होने हैं। ऐसे में भगवान केदार के कपाट बंद होने से पहले भुकुंट भैरवनाथ के कपाट किये जाने की परम्परा दशकों से चली जा रही है। इसके लिए मंगलवार व शनिवार का दिन निकाला जाता है। परम्परा को निभाते हुए मंगलवार को केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने ठीक 12 बजे केदारनाथ मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया। इसके उपरान्त मंदिर समिति के कर्मचारियों की उपस्थिति में केदारपुरी की पहाड़ी बसे भैरवनाथ के कपाट बंद की प्रक्रिया पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शुरू की गई। पुजारी ने भैरवनाथ मंदिर में दूध व घी से अभिषेक किया। वेदपाठियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया गया। इस दौरान यहां पर पूरी, हलवा, पकोडी का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाया गया। भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला ने नर रूप में अवतरित होकर यहां उपस्थित भक्तों को अपना आशीर्वाद दिया।

 

 

इस दौरान भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावतरण भक्तिमय हो गया। मंदिर में करीब दो घंटे चली पूजा-अर्चना के बाद ठीक तीन बजे भगवान भैरवानाथ के कपाट पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। अवसर पर देवस्थानम बोर्ड से आचार्य औंकार शुक्ला, प्रशासनिक अधिकारी व मंदिर सुपरवाइजर युद्धवीर पुष्पवान, भैरवनाथ जी के पश्वा अरविंद शुक्ला, महावीर तिवारी, मृत्युंजय हीरेमठ, उम्मेद सिंह, सूरज सिंह, भोला सिंह कुंवर, जगदीश, देवी प्रसाद तथा तीर्थ पुरोहित गण मौजूद रहे।

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