इस जिले में भांग की खेती का पहला लाइसेंस जारी..
उत्तराखंड : भांग की खेती का उत्पादन एक बार शुरू होने के बाद किसानों की आय बढ़ाने के नए अवसरों का सृजन होगा। गौरतलब है कि भांग उगाने के लिए बंजर जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि काफी सख्त फसल होती है और जिसे उगाने के लिए बहुत कम संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होती है।
जिले में भांग के खेती के लिए पहला लाइसेंस जारी हो गया है। इसके अलावा एक अन्य फर्म के लाइसेंस कवायद अंतिम चरण पर पहुंच चुकी है। राज्य में पौड़ी के बाद भांग उत्पादन को लाइसेंस देने वाला चम्पावत दूसरा जिला बन गया है। बेहद कम मादकता वाली भांग की ये खेती औद्योगिक लिहाज से होगी।
इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। आबकारी विभाग की सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद अब डीएम ने जनकांडे के खुतेली निवासी नरेंद्र माहरा को भांग की खेती के लिए पहला लाइसेंस जारी किया है।
नरेंद्र .295 हेक्टेयर में भांग की खेती करेंगे। इसके अलावा पाटी की टेरा फिलिक इनोवेंचर्स प्रालि के गौरव लडवाल ने भी 1.037 हेक्टेयर जमीन में भांग की खेती के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। विभाग स्तर से इस फर्म को लाइसेंस जारी करवाने के प्रक्रियाएं लगभग अंतिम चरण में हैं।
भांग की फसल का पहला लाइसेंस जारी कर दिया गया है। एक और लाइसेंस की प्रक्रियाएं पूर्ण हो चुकी हैं। भांग की फसल के जरिए रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। भांग के रेसों से कई उत्पाद तैयार होते हैं। भांग का रेशा मानवता की भलाई के लिए सबसे मजबूत और पुराने रेशों में से एक माना जता है। भांग के रेशे में जीवाणु और यूवी प्रतिरोधी विशेषताएं होती है।
भांग से तैयार हो सकते हैं ढाई हजार तरह के उत्पाद
भांग से कागज, बोर्ड, ईंट, फाइबर, इत्र, फर्नीचर, कॉस्मेटिक्स, कपड़ा, तेल, ऑटोमोबाइल कंपोनेट आदि सहित करीब ढाई हजार तरह के उत्पाद तैयार हो सकते हैं।भांग से बायोइथेनॉल तैयार करने की भी योजना है।