उत्तराखंड

प्रसाद वितरण के साथ उत्तरसू गांव में बगडवाल नृत्य संपन्न समृद्धशाली है उत्तराखंड की संस्कृति

प्रसाद वितरण के साथ उत्तरसू गांव में बगडवाल नृत्य संपन्न समृद्धशाली है उत्तराखंड की संस्कृति

रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड की संस्कृति जितनी समृद्ध है, उतने ही मनमोहक यहां के लोकनृत्य-लोकगीत भी हैं। इनमें से बगडवाल नृत्य सदियों से गढ़वाल की धार्मिक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। आज भी गढ़वाल के कई गांवों में बगडवाल नृत्य का आयोजन किया जाता है। जिसमें जीतू बगडवाल की प्रेम गाथा को जागर और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

 

 

इसी कड़ी में तल्लानागपुर क्षेत्र के उत्तरसु गांव में आयोजित बगड्वाल नृत्य प्रसाद वितरण के साथ सम्पन्न हो गया है। इस दौरान देवता के रूप में पूजे जाने वाले जीतू बगड्वाल के जागरों के बीच ग्रामीणों ने खूब नृत्य किया। मान्यता है कि आज से एक हजार साल पहले गढ़वाल रियासत के बगोड़ी गांव पर जीतू का आधिपत्य था। एक बार जीतू अपनी बहन सोबनी को लेने उसके ससुराल रैथल गांव जाता है। जहां उसकी प्रेमिका भरणा भी रहती है। जीतू बांसुरी की धुन में अपनी प्रेमिका के प्रेम गीत गाता रहता था। उसकी धुन पर मोहित होकर खैट पर्वत पर रहने वाली वन अछरियां वहां पहुंच जाती है और उसे अपने साथ ले जाना चाहती हैं। तब जीतू उन्हे वचन देता है कि धान की रोपाई वह स्वेच्छा से उनके साथ चलेगा और अंत में वह दिन भी आया जब रोपाई के दिन खेत में ही अछरियों ने जीतू के प्राण हर दिये।

 

 

 

इसके बाद अदृश्य शक्ति के रूप में जीतू बगडवाल अपने परिजनों की मदद करता रहा। राजा ने जीतू की शक्ति को भांपते हुये पूरे गढ़वाल में उसे देवता के रूप में पूजे जाने का आदेश दिया। तब से लेकर अब तक लोग अपनी परेशानियों को हरने, सुख-शान्ति और समृद्धि की कामना से इस आयोजन को बडे प्रेम के साथ अपने गावों में कराते हैं।

 

 

 

इस मौके पर धर्मेंद्र बिष्ट, जनक बिष्ट, बलबीर बिष्ट, सूरज बिष्ट ,अरविंद पंवार, सतेंद्र बिष्ट, सुबोध पुरोहित, दिनेश बर्त्वाल, लक्षमण बिष्ट, किशन बिष्ट, राहुल बिष्ट, मगन नेगी, मातवर पंवार, दीक्षा बिष्ट, गुड्डी बिष्ट, मीनाक्षी नेगी, ज्योति पंवार ,बबीता बिष्ट, दीपिका बिष्ट, रविन्द्र नेगी, अखिलेश बिष्ट, हिम्मत, अखिलेश बिष्ट, विनीता देवी, प्रमोद नेगी, दीपक, रजत बिष्ट, बबीता नेगी, वीर सिंह बिष्ट, जोत सिंह बिष्ट, धीरज नेगी, पार्वती देवी, सुमित्रा देवी, राजेश्वरी देवी सहित अन्य कई ग्रामीण मौजूद थे।

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