भाजपा संगठन का एक मजबूत धड़ा कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में करेगा खुलकर प्रचार..
सिटिंग विधायक के कदम से कदम मिलाकर चलने वाले दावेदारी की लाइन में खड़े..
रुद्रप्रयाग विधानसभा से भाजपा और कांग्रेस में टिकट को लेकर मचा है घमासान.
अपने आकाओं की गणेश परिक्रमा करने में लगे हैं दावेदार..
पूर्व ब्लाॅक प्रमुख अर्जुन सिंह गहरवार टिकट ना मिलने पर पहले ही कर चुके हैं बगावत की घोषणा..
रुद्रप्रयाग। विधानसभा चुनाव का शंखनाद बजते ही टिकट को लेकर भाजपा से लेकर कांग्रेस के दावेदार अपने आकाओं की गणेश परिक्रमा करने में लगे हैं। रुद्रप्रयाग विधानसभा से सिटिंग विधायक होने के बावजूद भाजपा से 11 लोगों ने दावेदारी की है, जिस कारण पार्टी हाईकमान भी सोच-समझकर टिकट देने के मूड में है। यहां भाजपा संगठन के एक मजबूत धड़े ने साफ तौर पर खुले मंच से सिटिंग विधायक चौधरी को टिकट दिये जाने का विरोध किया है और अगर भाजपा फिर भी सिटिंग विधायक को टिकट देती है तो ये धड़ा कांग्रेस प्रत्याशी के लिए खुलकर काम करेगा।
वहीं कांग्रेस में भी टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। यहां पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट ना मिलने पर ब्लाॅक प्रमुख प्रदीप थपलियाल ने बगावत की थी, जिस कारण पार्टी को कोई खास नुकसान तो नहीं हुआ, मगर लोगों के मन में एक बात घर कर गई है कि कांग्रेस में बगावत होना तय है। वहीं आप पार्टी ने रुद्रप्रयाग विधानसभा से प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस-भाजपा से असंतुष्ट मजबूत व्यक्ति को आप यहां से टिकट दे सकती है।
देवभूमि उत्तराखण्ड में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं, जिस कारण कांग्रेस और भाजपा से दावेदार अपने आकाओं के साथ ही पार्टी हाईकमान के चक्कर लगा रहे हैं। जिस तरह की स्थिति पहले कांग्रेस में देखी जाती थी, वही स्थिति अब भाजपा में भी बन गई है। भाजपा से रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से 11 लोगों ने दावेदारी की है, जो वर्षो से पार्टी की सेवा में जुटे हैं और सबने ही अपना-अपना योगदान पार्टी के लिए दिया है। भाजपा से सिटिंग विधायक होने के बावजूद दावेदारों की लम्बी कतार होने से लोगों के मन में भी कई बातें चल रही हैं।
चुनाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है तो इस मुद्दे पर भी गंभीर चर्चा चल रही है कि इतनी लम्बी कतार होने के बाद किस व्यक्ति पर भाजपा भरोसा जतायेगी। जहां छः माह पूर्व तक भाजपा से चार दावेदार ही सामने थे, वहीं अब इतनी लम्बी लाइन होने से पार्टी हाईकमान भी संशय में है और सोच-समझकर निर्णय लेने के मूड में हैं। जो लोग कल तक सिटिंग विधायक के कदम से कदम मिलाकर चलते थे, वही आज उनके सामने दावेदारी की लाइन में खड़े हैं।
रुद्रप्रयाग विधानसभा से सिटिंग विधायक भरत चौधरी, भाजपा सह मीडिया कमलेश उनियाल, पूर्व राज्यमंत्री वीरेन्द्र बिष्ट, जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, पूर्व जिलाध्यक्ष विजय कप्रवाण, आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं, महामंत्री विक्रम कंडारी, अजय सेमवाल मजबूत दावेदारी में हैं और इन्हीं में से किसी एक पर पार्टी दांव खेल सकती है। मगर जिस तरह से दावेदारों की लाइन लग गई है, पार्टी हाईकमान भी सकते में हैं। सूत्रों की माने तो भाजपा से यदि भरत सिंह चौधरी को टिकट मिलता है तो संगठन का एक मजबूत धड़ा कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में खुलकर प्रचार करेगा। सिटिंग विधायक पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप भी लगते रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ता भी विधायक से खुश नहीं हैं।
रुद्रप्रयाग विधानसभा में भाजपा से जनता की कोई नाराजगी नहीं है, बल्कि सिटिंग विधायक के कार्यकाल से जनता नाखुश है। भाजपा के कई कार्यकर्ताओं का साफ तौर पर कहना है कि पार्टी को किसी अन्य व्यक्ति को टिकट देना चाहिए। यदि पार्टी युवा कार्यकर्ता को टिकट दे तो जीत आसानी से हो सकती है। विधानसभा की जनता युवा प्रत्याशी को चाहती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान उठाने के लिए भी तैयार रहना होगा। वहीं कांग्रेस में भी बगावती शुरू फूटना तय माना जा रहा है। यहां पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा, ब्लाॅक प्रमुख प्रदीप थपलियाल, पूर्व ब्लाॅक प्रमुख अर्जुन गहरवार, जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र बिष्ट, बीरेन्द्र बुटोला, अंकुर रौथाण दौड़ में हैं। कांग्रेस में भी दावेदारों की लम्बी कतार लगी है।
यहां कांग्रेस के पूर्व ब्लाॅक प्रमुख अर्जुन सिंह गहरवार पहले ही टिकट ना मिलने पर बगावत की घोषणा कर चुके हैं और वर्तमान जखोली के ब्लाॅक प्रमुख प्रदीप थपलियाल वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बगावत कर चुके हैं। ऐसे में जनता के मन में भी सवाल बना है कि इस बार भी यकीकन ही कांग्रेस में बगावत होनी तय है। बहरहाल, यह तो दो-चार दिन में तय हो जायेगा कि किस व्यक्ति पर कांग्रेस व भाजपा भरोसा जताती है, पर इतना भी तय है कि यदि पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया जो जनता के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश का विषय बना है तो राष्ट्रीय पार्टियों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है और इसका फायदा यूकेडी के साथ ही आप पार्टी के प्रत्याशी को मिल सकता है।