आखिर कौन दे रहा आतंकियों को वो गोली जो “बुलेट प्रूफ जैकेट” को भी भेद डालती, कौन है वो दुश्मन..
देश-विदेश : अब तक दुनिया भर में यही समझा और कहा जाता है कि बुलेट प्रूफ जैकेट को भेद पाने वाली कोई गोली नहीं बनी है. मतलब बदन पर अगर बुलेट प्रूफ जैकेट मौजूद हो, तो जिंदगी को कोई जोखिम नहीं है. यह बात मगर इन दिनों गलत साबित होने लगी है. वजह है, वो गोली ईजाद कर लिया जाना जो बुलेट प्रूफ जैकेट को भी कागज की मानिंद चीरकर इंसान के बदन में जा घुसती है. इन ताकतवर गोलियों ने अब तक सबसे ज्यादा नुकसान, आतंक से प्रभावित कश्मीर घाटी में जूझ रहे भारतीय जवानों को पहुंचाया है.
जानकारों के अनुसार, यह गोलियां विशेष किस्म की स्टील से बनी हुई हैं. गोलियां न सिर्फ बुलेट प्रूफ जैकेट्स के भीतर आसानी से घुसने की ताकत रखती हैं, वरन् बुलेट प्रूफ वाहनों और बंकरों पर भी पूरी तरह से असरकारक हैं. मतलब जब-जब और जहां भी इन गोलियों का इस्तेमाल होगा, तो सामने वाले का भारी जान-माल का नुकसान तय है. इन गोलियों का सर्वाधिक इस्तेमाल एके-सीरिज (एके-47 एके-56 सीरीज की राइफल्स) के हथियारों में खुलकर हो रहा है. इसका खुलासा हाल ही में तब हुआ जब, जैश कमांडर सज्जाद अफगानी के कब्जे से इस तरह की खतरनाक गोलियां भारतीय सैन्य-सुरक्षा बलों को मिलीं.
चीन में बनाई जाती हैं ये खतरनाक गोलियां..
कानपुर स्थित इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्टरी के एक अधिकारी के अनुसार, इन खतरनाक गोलियों का निर्माण भारत के धुर-विरोधी चीन में ही होता पाया गया है. इन विशेष किस्म की गोलियों के निर्माण में टंगस्टन कार्बाइड व हार्ड स्टील का इस्तेमाल होता है, जिससे इनकी 7 लक्ष्य भेदक (मारक) क्षमता बेहद खतरनाक हो जाती है.
साल 2017 में जब पुलवामा स्थित लेथपोरा में मौजूद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कैंप पर आतंकी हमला हुआ, तब भी इन्हीं घातक गोलियों का इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा किया गया था. उस घटना में बुलेट प्रूफ जैकेट पहने होने वाले कई जवानों ने भी जान गंवा दी थी. ऐसा नहीं है कि इन गोलियों के इस्तेमाल वाला वो पहला और आखिरी हमला था. उससे पूर्व और बाद में भी कश्मीर घाटी में हुए कई आतंकवादी हमलों में चीन में निर्मित इन खतरनाक स्टील गोलियों का बेजा इस्तेमाल किए जाने की खबरें आती रही हैं.
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पहले से थी जानकारी..
चिंता की बात यह है कि इन गोलियों के इस्तेमाल और निर्माण की बात तो भारतीय खुफिया, जांच एजेंसियों और सुरक्षा बलों को पता है. इनकी ताकत को कमजोर करने का कोई उपाय हाल-फिलहाल हमारे पास नहीं है. हांलांकि, इन गोलियों का इस्तेमाल किए जाने की हाल-फिलहाल जानकारी एक लंबे अरसे बाद सामने आई है.