बरसात आते ही आखिर क्यों डर जाते है यहाँ के स्कूली बच्चे…
रिखणीखाल मंदाल घाटी….
-देवेश आदमी
पौड़ी गढ़वाल : यह छायाचित्र बिगत वर्षाऋतु की है। मगर आज भी अगर रिखणीखाल के मंदाल नदी में जलस्तर बढ़ जाये तो यह तस्बीर आप दुबारा कैद कर सकते हो। बात रिखणीखाल के मंदाल नदी की करते है। सायद कुछ ही लोग जानते होंगे कि आखिर मंदाल नदी का उद्द्गम कहाँ है और किस जगह जाकर यह नही लुप्त होती है।
चलो यात्रा करते है मंदाल नदी की मंदाल घाटी वैसे बहुत बड़ी नही मग़र यह रिखणीखाल के पट्टी पैनों की जीवनदायिनी नदी है। जयहरीखाल के डबुर गढ़ ग्राम सभा पैलन गाँव पट्टी मला बदलपुर में इस नदी का उद्द्गम है। जो बाटाधार,सांदण धार।,बुदगांव,लैयर सैंण रिख्यड़ ज्वाला मांग (जयहरीखाल) से रिखणीखाल में जामरी,मुंडेणा,बसड़ा,धज,तिमलसैंण, बगेड़ा,डबुर,होते हुए ढीकोलिया,धामधार,कुमालडी,रथुवा ढाब में से होते हुए करतिया,नोदानु,कांडा नाला पार करते हुए नैनीडांडा ब्लॉक में दियोड़, खदरासी होते हुए रामगंगा में मिल जाती है। करीब 28km का सफर करती है यह मंदाल नही।
मग़र आज इस का इतिहास इतना जरूरी नही जितना वर्ष 2013 में इस नदी के रूद्र रूप के बारे में बात करने की जरूरत है। वर्ष 2013 की आपदा में इस नदी में बने जामरी मुंडेणा पुल, तिमलसैण बगेड़ा पुल, रथुवा ढाब झरत गंगा गाँव पुल बंजा देवी नोदानु पुल बह गए थे। जिस की वजह से मंदाल नदी के उस पार के लोग नदी के इस पार नही आसकते है। नदी के पार के लोग देश दुनियां से पूरी तरह से कट चुके है। आपदा में बहे बंजा देवी नोदानु झूला पुल की वजह से करतिया इंटरमीडिएट स्कूल के बच्चे साल के 3 महीने स्कूल नही जाते है। जामरी मुंडेणा पैदल पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण जामरी व सिमल गाँव के बच्चे 3 महीने बसड़ा के स्कूल में पढ़ाई करते है 9 महीने मुंडेणा स्कूल में। बगेड़ा का पुल टूटने की वजह से बिगत वर्ष एक 8 वीं कक्षा का बच्चा रिखणीखाल से खेलकूद प्रतियोगिता से घर लौट रहा था और उफ़नती नदी में बह गया उस की लांस धामधार जाकर 2 दिन बाद मिली।
यह हाल है मंदाल नदी के किनारे बसे लोगों का मंदाल नदी के पार रहने वाले लोगों के पास न कोई बाजार है न मुख्य सड़क न हॉस्पिटल। इन लोगों का संपर्क ब्लॉक मुख्यालय से वर्षा के 3,4 महीने के लिए पूर्णरूप से कट जाता है। यह क्षेत्र आजतक दूरसंचार के अभाव में है। इस क्षेत्र में संचार ब्यवस्ता ना के बराबर है। वन क्षेत्र होने के कारण आते दिन जंगली जावरों का डर इस क्षेत्र के लोगों को सोने नही देता है। खेती प्रधान यह क्षेत्र गर्म इलाके का है और समूचे रिखणीखाल की अगर बात करे तो इस क्षेत्र से अन्य क्षेत्र के मुकाबले पलायन कम हुआ है।
यह क्षेत्र आज भी विकास की बाट जोग रहा है। क्षेत्रीय लोग कह रहे है कि पुल भी बन जाते तो कुछ राहत मिलती…