गांव में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी, इस तरह किया पढ़ाई का जुगाड़..
उत्तराखंड : जहां एक ओर देश 4G से 5G की तैयारी कर रहा है। वहीं अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर रामगाढ़ क्षेत्र में ग्रामीण फोन पर बात करने तक के लिए तरस गए हैं। मोबाइल महज शोपीस बनकर रह गए हैं।
वहीं इस दुश्वारी में भी स्कूली बच्चों ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अनोखी तरकीब निकाल ली। इंटरनेट कनेक्टिविटी की तलाश में बच्चे हाईवे के किनारे तक पहुंच गए। खुद के साथ चटाई, पानी की बोतल लेकर हाईवे किनारे बैठकर बच्चे पढ़ाई और होम वर्क पूरा कर रहे हैं।
संचार क्रांति के बडे़ बडे़ दावे हाईवे पर फेल साबित हो रहे है। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर रामगाढ़ क्षेत्र में मोबाइल शोपीस बन चुके हैं। मोबाइल पर सिग्नल ना आने से ग्रामीणों को बात करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह है कि ग्रामीण फोन पर बात करने के लिए घर से इधर उधर जाते हैं।
वही विशेष जगह पर मोबाइल रखने पड़ते हैं। फोन पर सिग्नल ना आने से बड़ी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। कोरोनाकाल में आन लाइन पढ़ाई में भी नौनिहालों को परेशानी उठानी पड़ रही है। बच्चे हाईवे किनारे विशेष जगह को चुन ऑनलाइन पढ़ाई करने को मजबूर हैं। ऐसे में दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कई बार टावर लगाए जाने की मांग उठाई जा चुकी है और कोई सुनवाई नहीं हो रही। स्थानीय देवेंद्र सिंह रमोला, नंदन तिवारी, करम सिंह, गोधन सिंह बर्गली, रघुवर सिंह बर्गली, लक्ष्मण सिंह आदि ने तत्काल टावर लगाए जाने की मांग उठाई है। चेताया है कि यदि जल्द व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो आंदोलन शुरु किया जाएगा।
रामगाढ़ ही नही बल्कि हाईवे पर निगलाट क्षेत्र में भी मोबाईल के सिग्नल शून्य है। सिग्नल ना आने से ग्रामीणों को फजीहत का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण इधर से उधर जाकर बमुश्किल फोन पर बात कर पाते हैं। हाईवे पर रामगाढ़ व निगलाट क्षेत्र में सबसे अधिक परेशानी आपातकाल स्थिति में होती है।
कभी हाईवे पर दुर्घटना होने पर आसपास के ग्रामीण दुर्घटना की सूचना तक दूरभाष से दूसरी जगह तक नहीं दे पाते। ऐसे में ग्रामीण हाईवे पर आवाजाही कर रहे वाहनों के माध्यम से दूसरी जगह संदेश पहुंचाते हैं जहां से फिर अस्पताल तथा चौकी पुलिस को सूचना दी जाती है।