एनएसए अजीत डोभाल को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।, जानें उनके बारे में खास बातें…
यूं ही भारत का ‘जेम्स बॉन्ड’ नहीं कहलाते अजीत डोभाल….
देश-विदेश : एनएसए अजीत डोभाल यूं ही भारत के जेम्स बॉन्ड नहीं कहलाते हैं। उनकी बहादुरी के आगे दुश्मन भी थर-थर कांपते हैं। यही कारण है कि उन्हें दोबारा देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। इतना ही नहीं उन्हें मोदी कैबिनेट में भी शामिल किया गया। आज उनका जन्मदिन है।
अजीत डोभाल अकेले ऐसे अधिकारियों में से हैं, जिनकी अपनी ऑफिस बिल्डिंग है। वे भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक भी रह चुके हैं। अजीत डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया जा चुका है। अजीत न सिर्फ एक बेहतरीन खुफिया जासूस हैं। बल्कि एक बढ़िया रणनीतिकार भी हैं।
वे पाकिस्तान में सात सालों तक खुफिया जासूस की भूमिका में रह चुके हैं। पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट की भूमिका के बाद उन्होंने इस्लामाबाद में स्थित इंडियन हाई कमिशन के लिए काम किया। कांधार में आईसी-814 के अपहरण प्रकरण में अपहृत लोगों को सुरक्षित वापस लाने में अजीत की अहम भूमिका रही थी।
पूर्वोत्तर, पंजाब, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में डोभाल जिस तरह से अपने इंटेलीजेंस ऑपरेशंस को अंजाम देते रहे हैं, उसकी वजह से ही डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है। 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।
पीओके में अंजाम दिए गए सर्जिकल के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का बड़ा हाथ था। ऑपरेशन की निगरानी दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और डीजीएमओ ले.जन. रनबीर सिंह ने ही की थी। अजीत डोभाल के मार्गदर्शन में म्यामार में भी भारतीय सेना ने घुसकर उग्रवादियों को मौत की नींद सुला दिया था।
अजीत डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए।