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14 साल के बच्चे ने लॉकडाउन में बनाई खुद की कंपनी..

14 साल के बच्चे ने लॉकडाउन में बनाई खुद की कंपनी..

14 साल के बच्चे ने लॉकडाउन में बनाई खुद की कंपनी..

देश-विदेश: कोरोनावायरस संकट फैलने और रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाऊन की वजह से देश में बेरोज़गारी तेज़ी से बढ़ गयी है बेरोज़गारी दर देश में बढ़कर 23.4% हो गयी है। बढ़ती बेरोज़गारी चिंता का विषय है और लोगो के हालत ख़राब हो रहे हैं। कोरोनावायरस संकट शुरू होने के साथ ही अनिश्चितता के माहौल में लाखों मज़दूरों का पलायन इस संकट की पहचान सी बन गयी। लेकिन कहते हैं न कि अगर किसी में कुछ करने या सिखने का हुनर और लगन हो तो वह कुछ भी कर सकता हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया हैं। उत्तर प्रदेश के एक 8वीं के छात्र ने अपने हुनर के दम पर छोटी सी उम्र में वो मुकाम हासिल कर दिखाया है जिसे हासिल करने में बड़े-बड़ों के छक्के छुट जाते हैं। बच्चे ने आज खुद की कंपनी बना ली है और चार से 6 लोगों को रोजगार तक दे दिया। हर कोई उसके दिमाग और जज्बे की तारीफ कर रहा है।

कंपनी में मां को बनाया MD,लोगों दिया रोजगार..

दरअसल, इस होनहार बच्चे का नाम है अमर प्रजापति जो अभी महज 14 साल का है। जब उसका स्कूल बंद हुआ तो उसने खाली समय में एलईडी लाइट्स बनाने की ट्रेनिंग ली। फिर अपने ही घर में बल्ब बनाना शुरु किया, एक दो महीने में वह परफेक्ट हो गया और डेली सैंकड़ों लाइट्स बनाने लगा। इसके बाद अमर ने खुद की कंपनी बना ली। जिसका मैनेजिंग डायरेक्‍टर मां सुमन प्रजापति को बनाया। आज उसकी पहचान गोरखपुर शहर के ‘सबसे छोटे’ उद्यमी के रुप में होती है।

 

प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया प्रभावित है अमर..

आपको बता दें कि सिविलि लाइंस में रहने वाले रमेश कुमार प्रजापति के तीन बच्चे हैं। जिनमें अमर उनका मंझला बेटा है। रमेश गोरखपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी (गीडा) में नौकरी करते हैं। उन्होंने बताया कि उनका बेटा अमर बचपन से ही हुनर में बहुत तेज है। वह कोई भी काम एक बार देखता है और उसके बनाने की कोशिश करने लगता है। वह आगे चलकर वैज्ञानिक बनना चाहता है।

पिता के गुरु के नाम पर रखा कंपनी का नाम..

अमर ने अपनी कंपनी का नाम अपने पिता के गुरू के नाम पर ‘जीवन प्रकाश इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड’ रखा। जिसमें उसकी मदद उसके परिवार वाले भी करते हैं। अमर की इस कंपनी में 8 से 10 लोग काम करते हैं। इतना ही नहीं अमर ने अपनी कंपनी की एक वेबसाइट भी बनाई है और अब अपनी लाइट्स को ऑनलाइन भी बेचने लगा।

अमर के पिता ने बताया कि जब स्कूल बंद हुए तो बेटे ने बल्ब बनाने की ट्रेनिंग लेने की बात कही। इसके लिए मैंने हामी भर दी और गीडा में ट्रेनर और उद्यमी विवेक सिंह के पास जाकर प्रशिक्षण लिया। ट्रेनर विकास बताते हैं कि अमर ने महज पांच दिन में ही बल्ब बनाना सीख लिया था। जिस काम को सीखने में लोगों को सालों लग जाते हैं उसको अमर ने 5 दिन में पूरा कर लिया था।

 

अमर बल्ब बनाने के लिए उद्यमिता विकास संस्‍थान से रॉ मटेरियल (कलपुर्जे) मंगाता है और खुद अपनी कंपनी के नाम से एलईडी बनाता है। बेटे के हुनर को देखते हुए पिता रमेश प्रजापति ने दो लाख रुपए इधर-उधार से जुगाड़ करके कंपनी में लगा दिए। लेकिन बल्ब बनने लगे और बाजार में भी बिकने लगे। इस तरह से अमर की कंपनी हर महीने दो से ढाई लाख का मुनाफा कमा रही है।

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