संवाद सूत्र, बड़कोट (उत्तरकाशी) : जानकी चट्टी से डेढ़ किलोमीटर आगे यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भंगेली गदेरे के पास शुक्रवार की सुबह भारी भूस्खलन हुआ। पैदल मार्ग का करीब 100 मीटर हिस्सा पूरी तरह से बंद हो चुका है। साथ ही पहाड़ी से भूस्खलन का खतरा भी बना हुआ है। भूस्खलन के दौरान भंगेली के निकट एक पहाड़ी के नीचे कुटिया बनाकर रह रहे साधु ने भाग कर जान बचाई। पैदल मार्ग बंद होने के कारण यमुनोत्री की ओर फंसे 17 तीर्थ यात्री व पुरोहितों को रस्सी के सहारे राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के जवानों व पुलिस ने निकाला।

पहाड़ी से तकरीबन आधे घंटे तक भूस्खलन होता रहा। इस दौरान भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर आने से पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होकर बंद हुआ। यात्री विश्राम गृह भी क्षतिग्रस्त हुए। बोल्डर और मलबा साधु नीलगिरी महाराज की कुटिया तक पहुंचा। यमुनोत्री की ओर यात्रियों के फंसे होने की सूचना पर एसडीआरएफ और पुलिस की टीम पहुंची। बचाव टीम ने रस्सी के जरिये किसी तरह से फंसे यात्रियों और तीर्थ पुरोहितों को निकाला। कुल 17 व्यक्तियों को निकालने में दोपहर से लेकर शाम तक का समय लगा।

यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि यमुनोत्री धाम के पैदल रास्ते को जल्द खोला जाए तथा वैकल्पिक मार्ग भी बनाया जाए। जिससे तीर्थ पुरोहित यमुनोत्री धाम में जा सकें। साथ ही यमुनोत्री धाम में रहने वाले कर्मचारियों के लिए राशन आदि पहुंचा सकें।

बड़कोट उपजिलाधिकारी चतर सिंह चौहान ने कहा कि लोक निर्माण विभाग बड़कोट के अधिशासी अभियंता मौके पर गए हैं। जिस तरह भूस्खलन रास्ता बंद हुआ है, उसे खोलने में तीन से चार दिन का समय लगना तय है। जो यात्री व तीर्थ पुरोहित फंसे हुए थे, उन्हें सुरक्षित निकाल दिया गया है। अब मंदिर में केवल कुछ पुजारी व कर्मचारी हैं।