उत्तराखंड

उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप को किया जाएगा अपग्रेड..

उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप को किया जाएगा अपग्रेड..

लगाए जाएंगे 350 नए सेंसर, केंद्र सरकार को भेजा प्रस्ताव..

 

 

 

 

 

 

 

 

आपदा प्रबंधन विभाग (यूएसडीएमए), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने “उत्तराखंड की ओर से तैयार किए गए मोबाइल एप्लीकेशन ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ एप को अपग्रेड किया जाएगा। राज्य भर के 350 नए स्थानों पर इसके लिए सेंसर लगाए जाएंगे।

 

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: आपदा प्रबंधन विभाग (यूएसडीएमए), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने “उत्तराखंड की ओर से तैयार किए गए मोबाइल एप्लीकेशन ‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ एप को अपग्रेड किया जाएगा। राज्य भर के 350 नए स्थानों पर इसके लिए सेंसर लगाए जाएंगे। 163 जगहों पर अभी तक सेंसर लगाए जा चुके हैं। यूएसडीएमए ने ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार को 58 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया है।

6 नवंबर से 12 नवंबर के बीच उत्तराखंड और पड़ोसी देश नेपाल में कुल आठ छोटे-बड़े भूकंप के झटके आए है। जिसकी तीव्रता 3.4 से 6.3 मैग्नीट्यूट तक थी। हालाँकि इसके परिणामस्वरूप जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ, फिर भी भविष्य में बड़े भूकंप के खतरे के संकेत जरूर मिले हैं। भूकंप की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली बनाने वाला देश का पहला राज्य उत्तराखंड है, लेकिन अभी भी इसमें सुधार की बहुत गुंजाइश है।

विश्व बैंक परियोजना के वरिष्ठ आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ गिरीश जोशी का कहना हैं कि भूकंप अलर्ट ऐप सेंसर-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करता है। एकत्र किए गए इनपुट के आधार पर भूकंप की स्थिति में अलर्ट ऐप बीप करता है; अब तक, हमने चकराता से पिथौरागढ़ तक लगभग 163 सेंसर लगाए हैं। लेकिन विश्वसनीय चेतावनी प्रणाली बनाने के लिए अधिक सेंसर की आवश्यकता होती है।

आईआईटी रुड़की के सुझाव के आधार पर लगभग 58 करोड़ रुपये की लागत वाली एक परियोजना तैयार की गई है और केंद्र सरकार को सौंपी गई है। केंद्र यदि इस प्रस्ताव को नामंजूर भी करता है तो उत्तराखंड दूसरी मदों से इस बजट की पूर्ति करेगा। राज्य भर में 500 से अधिक सेंसर लगाने से वर्तमान नेटवर्क जल्द ही और अधिक सघन हो जाएगा। इसका लक्ष्य कम से कम 5 से 10 किलोमीटर दूर सेंसर लगाने का है। उनका कहना हैं कि इन सेंसर से न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि दिल्ली समेत पड़ोसी राज्यों को भी फायदा होगा।

ऐसे काम करता है भूकंप अलर्ट एप..

भूकंप विशेषज्ञ ग्रिस जोशी का कहना है कि जब भूकंप आता है, तो पी और एस तरंगें भूकंप के केंद्र से विपरीत दिशाओं में ऊपरी सतह (ग्राउंड लैंडस्केप) की ओर बढ़ती हैं। पी तरंगें तेजी से फैलती हैं और लैंडस्केप में सेंसर को सक्रिय करती हैं। तब सेंसर से डेटा कंट्रोल रूम को प्राप्त होता है, तो तुरंत एक अलर्ट भेजा जाता है। इस तरह उपयोगकर्ताओ को मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से अलर्ट मिल जाता है। जोशी का कहना है कि पिछले भूकंपों के दौरान, एस तरंगों में देरी हुई थी और सबसे अधिक नुकसान पहुंचा सकती थी, जबकि पी तरंगे तेज थीं लेकिन हानिकारक नहीं थीं।

 

बीते दिनों कुछ मोबाइल में बजी थी अलर्ट बीप..

यूएसडीएमए का कहना हैं कि12 नवंबर को नेपाल में आए 5.4 मैग्नीट्यूट के भूकंप का उत्तराखंड सहित दिल्ली में कुछ मोबाइलों पर अलर्ट प्राप्त हुआ था। केवल अलर्ट उन्हीं मोबाइल पर प्राप्त हुआ था, जिन्होंने एप को समय-समय पर अपडेट किया था। राज्यभर में स्थापित सेंसर की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव है। एक बार स्थापित होने के बाद भूकंप के झटके का पता लगाने की आवृत्ति में वृद्धि होगी। ऐप संभावित भूकंपों की प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करता है, लेकिन यह केवल उन भूकंपों के लिए करता है जो पांच मैग्नीट्यूट से अधिक तीव्रता वाले भूकंप हैं। भविष्य में इसमें सुधार किया जाएगा ताकि बिना एप के भी हर मोबाइल भूकंप आने से कुछ सेंकड पहले चेतावनी जारी करेगा।

 

 

 

 

 

 

 

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