सोनप्रयाग से केदारनाथ पैदल मार्ग पर अव्यवस्थाएं हावी..
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता ने सरकार पर उठाए सवाल..
रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा को हाईकोर्ट के निर्देश पर खोल दिया गया है, मगर केदारनाथ यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थाएं आज भी फैली हुई है। स्थिति यह है कि तीर्थ यात्रियों को सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक विकट समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने भाजपा सरकार व जिला प्रशासन की लाचार कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि सरकार ने यात्रा शुरू करने से पूर्व न्यायालय में गलत तथ्य पेश किए हैं, तभी न्यायालय ने यात्रा खोलने की अनुमति दी।
श्री नेगी ने कहा कि कुछ दिन पूर्व मुख्य सचिव ने केदारनाथ धाम का दौरा कर अधिकारियों को यात्रा मार्ग पर व्यवस्थाएं दुरूस्त करने के निर्देश दिए थे, मगर अधिकारी हैं कि मुख्य सचिव के निर्देशों को भी नहीं मान रहे हैं। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पैदल मार्ग की स्थिति दयनीय बनी हुई है। मार्ग पर कई स्थानों पर बड़े-बड़े बोल्डर पड़े हैं। साथ ही कई जगह दलदल जैसी स्थिति बनी हुई है। वहीं शौचालयों में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। शासन के आला अफसर हवाई दौरे कर देहरादून से यात्रा मार्गो पर व्यवस्थाएं दुरूस्त होने की बात कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर हो रही परेशानियों से बेखबर हैं।
जिसका खामियाजा तीर्थ यात्रियों को भुगतान पड़ रहा है और उन्हें जान हथेली पर रखकर यात्रा करनी पड़ रही है। कहा कि पैदल रास्ते में प्रशासन द्वारा बनाई गई दुकानें भी क्षत-विक्षत हैं। जिला प्रशासन आंखे बंद करके मौन सादे हुए है। इस प्रकार की अव्यवस्थित यात्रा करवाकर सरकार क्या संदेश देना चाहती है। सरकार के इस तरह से खानापूर्ति करने वाले रवैये से राज्य का नाम तो खराब होगा ही, साथ ही केदारनाथ धाम पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
श्री नेगी ने कहा कि उन्हें सरकार द्वारा यात्रा खोले जाने को लेकर न्यायालय में दिए गए हलफनामे पर भी संदेह हो रहा है। क्योंकि ना तो रास्ते में आधारभूत सुविधाएं दिख रही हैं और ना ही पैदल मार्ग की स्थिति ठीक है। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पैदल मार्ग में स्वास्थ्य सुविधाओं को भी चाक-चैबंद नहीं किया गया है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने उत्तराखंड शासन पर यात्रा को लेकर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है उन्होंने कहा कि यदि शासन द्वारा जिला प्रशासन को समय रहते सुविधाओं को जुटाने के निर्देश दिए जाते तो आज पैदल मार्ग की ऐसी दुर्दशा नहीं होती और जिला प्रशासन कुंभकर्णीय नींद में नहीं सोया रहता। जिसका खामियाजा सीधे-साधे यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी उठाना पड़ रहा है। उन्होंने प्रशासन की अकर्मण्यता पर अफसोस जताते हुए कहा कि इस प्रकार की लापरवाही यात्रा को लेकर कभी भी नहीं देखी गई।