उत्तराखंड

बद्री-केदार मंदिर समिति में अजब गजब तमाशा

बद्री-केदार मंदिर समिति में अजब गजब तमाशा..

विशेष कार्याधिकारी को दिखाया चौकीदार और स्वयं सेवक को बनाया मैनेजर..

शासन और सरकार को पता नहीं, मंदिर समिति में खेल क्या चल रहा..

मुख्य सचिव को केवल एक कर्मचारी की एसीपी प्रकरण पर जांच के लिए लिखा पत्र..

रिटायर्ड विधि अधिकारी बन गया सर्वे-सर्वा, चार साल नौकरी के बाद फर्जी दस्तावेज बनाकर पेंशन का हकदार बन..

70 हजार संविदा पर वेतन ले रहा विधि अधिकारी, बैक डोर से मंदिर समिति में नियुक्तियां।

 

 

 

 

 

 

 

 

देहरादून। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। बद्री-केदार मंदिरों के कपाट बंद होने के बाद मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय के पास कोई काम नहीं रह गया है। तभी तो वह अब कर्मचारियों की शिकायत शासन से कर रहे हैं। वैसे तो मंदिर समिति को सर्वाधिकार संपंन बताया जा रहा है, लेकिन मंदिर समिति छोटे-छोटे मामलों को भी नहीं सुलझा पा रही है, जिस कारण अंदर का झगड़ा सड़क पर आ गया है।

मंदिर समिति अध्यक्ष ने पहले केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की फोटो खुद वायरल की तो तीर्थ पुरोहित समाज में आक्रोश फैल गया था। अब मंदिर समिति अध्यक्ष ने शासन को भेजा अपना पत्र स्वयं वायरल कर दिया है, जिसमें लिखा है कि एक कार्मिक की नियुक्ति चौकीदार के पद पर हुई और अब यह पीसीएस के समकक्ष स्केल ले रहा है। इस बाबत राकेश सेमवाल का कहना है कि उनकी मूल नियुक्ति व्यवस्थापक पद पर हुई है। इस संबंध में शासन तथा मंदिर समिति के सभी आदेश संलग्न हैं। विशेष कार्याधिकारी के आदेश संलग्न हैं। वह देवस्थानम बोर्ड में गंगोत्री धाम के प्रभारी अधिकारी रहे। उसी दौरान उन्हें वाहन आवंटित हुआ।

अतः मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय की निकृष्ट सोच का नतीजा है कि एक विशेष कार्याधिकारी को चौकीदार बता रहे हैं। राकेश सेमवाल ने कहा कि उन्हें एसीपी का लाभ गलत मिला तो शासन इसमें जांच कर सच्चाई सामने लायेगा और जांच में सब उचित पाया गया तो मंदिर समिति अध्यक्ष फिर क्या करेंगे। वह अपने अधिकारों के लिए न्यायालय या ट्रिब्यूनल जाने के लिए स्वतंत्र हैं।

हैरत की बात यह है कि मंदिर समिति में हाल में हुई प्रोन्नति में भारी धांधली हुई हैं। मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने अपने हस्ताक्षर से रातों रात लेखाधिकारी को बिना मानकों तथा नियमों के विपरीत डिप्टी सीईओ बना दिया। इसी डिप्टी सीईओ ने मुख्य कार्याधिकारी की अनुपस्थिति में अपने हस्ताक्षर से 17 पदोन्नतियां कर दी, जोकि अवैध हैं। क्या मंदिर समिति अध्यक्ष इस प्रकरण को भी शासन को भेजेंगे। पिछली मंदिर समिति में एक अवर अभियंता को अधिशासी अभियंता बना दिया गया। इनकी भूमिका चौलाई लड्डू प्रकरण में संदिग्ध रही। इन लड्डूओं में लाखों रूपये की जीएसटी चोरी हुई। इस पर जांच चल रही है। इसी तरह मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मंदिर समिति के रिटायर्ड विधि अधिकारी को पुनः 70 हजार रूपये प्रति माह संविदा पर नियुक्ति दे दी। इससे पहले विधि अधिकारी को पांच-छः साल की स्थायी सेवा के बाद ही फर्जी दस्तावेज तैयार कर मंदिर समिति के खाते से पेंशन का हकदार बना दिया गया।

मंदिर समिति का विधि अधिकारी किसी न्यायालय में पैरवी नहीं करता। इसके लिए मंदिर समिति ने अलग वकील नियुक्त किये हैं, जिनकी फीस मंदिर समिति देती है। कोई पूछे कि विधि अधिकारी को संविदा में पौने लाख रूपये किस एवज में दिये जा रहे हैं। इसी तरह सभी जानते हैं कि मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने अपने भाई को स्वयं सेवक से मैनेजर बना दिया। एक अभियंता जिसको प्रोन्नति का अधिकार नहीं है। उसके आदेश पर अध्यक्ष का भाई मैनेजर बन बैठा। अध्यक्ष के भाई का वेतन भी बढा दिया। अस्थायी कर्मचारियों के विरोध पर वेतन वृद्धि वापस तो हुई, लेकिन अध्यक्ष का भाई अभी भी मंदिर समिति रुद्रप्रयाग का मैनेजर बना हुआ है। इसी तरह मंदिर समिति में अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने घोर अनियमिततायें की हैं। हाल ही में बद्रीनाथ धाम के पूजा काउंटर में पैंसों की चोरी हुई। उसकी प्राथमिक सूचना एफआईआर बद्रीनाथ थाने में दर्ज है, जिस पर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने लीपापोती का भरसक प्रयास किया।

अगर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय पाक साफ हैं तो सभी मामलों की एसआईटी जांच के लिए शासन को लिखे। एक ही कर्मचारी को मुद्दा बनाना, कहां तक उचित है। मंदिर समिति की वास्तविकता यह है कि यहां सौ फीसदी कर्मचारी बैक डोर से घुसे हैं। चारों ओर भ्रष्टाचार की हवा चल रही है। अगर विधानसभा की नियुक्ति प्रकरण की तरह जांच हुई तो भगवान भोले सभी को पकोड़ी छोले बेचने के काबिल भी नहीं रखेंगे। सच तो यह है कि मंदिर समिति के अंदर हजारों का अतिरिक्त बैक डोर स्टाफ दान के पैंसे उड़ा रहा है।

मंदिर समिति की भू संपत्तियों पर देहरादून, रामनगर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, जोशीमठ, लखनऊ, महाराष्ट्र तक अवैध कब्जे हैं। मंदिर समिति कर्मचारी शीतकाल में धूप सेक रहे हैं। उनसे कुछ भी काम नहीं लिया जा रहा है। यह मंदिर समिति की निष्क्रियता को दर्शाता है। इस तरह अंधेरी नगरी चैपट राजा की कहावत चरितार्थ हो रही है। जिस कारण मुख्यमंत्री आवास से लेकर पीएमओ तक मंदिर समिति अध्यक्ष की कारगुजारियों की चर्चाएं हैं। कई पत्रकार संगठन तथा धार्मिक संगठन मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय को बर्खास्त करने की मांग कर चुके हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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