उत्तराखंड

बारिश के बीच हाथों में छाता लेकर तीर्थ पुरोहितों ने निकाली रैली..

सरकार और बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहित समाज ने किया केदारनाथ में प्रदर्शन..

प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी अभी तक नहीं बनी हाई पवार कमेटी..

कमेटी में चारों धामों के पुरोहितों को किया जाना था शामिल..

कमेटी न बनने से केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश..

रुद्रप्रयाग:  विश्व विख्यात केदारनाथ धाम में देव स्थानम बोर्ड के खिलाफ केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों का आंदोलन जारी है। दो महीने से केदारनाथ धाम में पुरोहित देव स्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग करते आ रहे हैं। बारिश के बीच हाथों में छाता लेकर केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहित रैली निकाल रहे हैं। अब तीर्थ पुरोहितों ने चेतवानी दी है कि यदि शीघ्र ही बोर्ड को भंग नहीं किया जाता है तो केदारनाथ धाम में ही आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।

विगत दो वर्ष पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में देव स्थानम बोर्ड का गठन किया गया था। उत्तराखंड के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री ओर यमुनोत्री सहित कुल 51 मंदिर शामिल किए गए थे। केदारनाथ की बात करे तो बोर्ड का गठन होने से पूर्व केदारनाथ मंदिर का संचालन बद्री केदार मंदिर समिति करती थी। केदारनाथ की सभी व्यवस्थाएं मंदिर समिति देखती थी। सरकार और प्रशासन कम ही मंदिर समिति के कार्यों में हस्तक्षेप करती थी, लेकिन बोर्ड का गठन होने के बाद केदारनाथ धाम की सभी व्यवथाएँ सरकार और प्रशासन के अधीन आ गयी। बद्री केदार मंदिर समिति के सभी अधिकारी-कर्मचारियों को बोर्ड में रखा गया।

 

27 नवम्बर 2919 को उत्तराखंड सचिवालय में मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड चार धाम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी दी गयी थी। 5 दिसम्बर 2019 में हुए सत्र के दौरान इस विधेयक को सदन के भीतर पारित किया गया। 14 जनवरी 2020 को देव स्थानम विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद एक्ट के रूप में प्रभावी हो गया। 24 फरवरी 2020 को देव स्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया, जिसके बाद से तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी है।

देव स्थानम बोर्ड का गठन होने के बाद से केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं। अब इस आंदोलन में पुरोहितों के परिजन भी कूद गए हैं। अब पुरोहितों के गांवों में भी देव स्थानम बोर्ड का विरोध किया जा रहा है। बोर्ड के विरोध में पुरोहित कोर्ट की भी शरण ले चुके हैं, लेकिन कोर्ट से भी पुरोहितों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जिसके बाद से केदारनाथ धाम सहित बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री सहित यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी है। तीर्थ पुरोहित कई बार मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों से मुलाकात करके बोर्ड को भंग करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन बोर्ड भंग होने के बजाय बोर्ड का विस्तारीकरण किया जा रहा है।

 

जिसके बाद अब पुरोहितों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। केदारनाथ धाम तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि अब बोर्ड के विरोध को लेकर केदारनाथ धाम में आमरण अनशन किया जाएगा। सरकार पुरोहितों की मांग पर अमल नहीं कर रही है। जिस कारण पुरोहितों में आक्रोश बना है। केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित सुमंत तिवारी ने कहा कि बोर्ड का गठन होने से उनके हक-हकूक प्रभावित हो रहे हैं। धाम में वह दशकों से बाबा की सेवा करते आ रहे हैं, लेकिन अब उन्हे सेवा से वंचित रहना पड़ रहा है। सरकार बोर्ड के जरिये मंदिरों की आय को हड़पना चाहती है।

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