नहीं रहे चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा..
उत्तराखंड: चिपको आंदोलन के प्रणेता पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा (94 वर्षीय) का शुक्रवार दोपहर 12 बजे निधन हो गया. सुंदर लाल बहुगुणा कोविड संक्रमित थे। जानकारी के अनुसार अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में भर्ती 94 वर्षीय पर्यावरणविद सुंदलाल बहुगुणा को कोविड निमोनिया हुआ था। आपको बता दें कि कुछ वक्त पहले उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। उनका लगातार इलाज चल रहा था और तबीयत में उतार-चढ़ाव हो रहा था।
94 साल के सुंदरलाल बहुगुणा का नाम पर्यावरण के क्षेत्र में सम्मान के साथ लिया जाता है। उनके चले जाने से उत्तराखंड को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है। न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बड़े प्रतीक थे सुंदरलाल बहुगुणा। 1972 में चिपको आंदोलन को धार दी और देश-दुनिया को वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। परिणाम ये रहा कि चिपको आंदोलन की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा जुड़ाव था।
Chipko movement leader Sundarlal Bahuguna died of COVID19 at AIIMS, Rishikesh today, says AIIMS Rishikesh Administration
(File photo) pic.twitter.com/6QQGf0vYm5
— ANI (@ANI) May 21, 2021
वह प्रकृति को सबसे बड़ी आर्थिकी मानते थे। यही वजह भी है कि वह उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-छोटी परियोजनाओं के पक्षधर थे। इसीलिए वो टिहरी बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं थे। इसे लेकर उन्होंने वृहद आंदोलन शुरू कर अलख जगाई थी। बहुगुणा ही वह शख्स थे, जिन्होंने अच्छे और बुरे पौधों में फर्क करना सिखाया।