उत्तराखंड

यह सियासत या शरारत ?

योगेश भट्ट
केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो शिलान्यास किए उनके शिलापटों को लेकर देहरादून से लेकर दिल्ली तक घमासान है। मसला प्रधानमंत्री से जुड़ा होने के कारण इतना ‘ हाई प्रोफाइल’ है कि कोई कुछ कहने-बोलने की स्थिति में नहीं है। हालांकि सुगबुगाहट यह भी है कि यह शिलापट बड़े-बड़ों की सियासत पर भारी पड़ने जा रहे हैं।

खैर वो ठहरी बाद की बात फिलवक्त तो इन शिलापटों के पीछे की कहानी रहस्य बनी हुई है। इस कहानी पर से हम यहां पर्दा उठाएंगे कुछ तस्वीरों के जरिये । शिलापटों से जुड़ी यह तस्वीरें केदारनाथ पर होने वाली सियासत को तो बेपर्दा कर ही रही हैं, सरकार के अंदर चल रही शह-मात की ओर भी इशारा कर रही हैं । यह तस्वीरें एक ओर शिलापट एपिसोड की रोचक कहानी से जुड़ी हैं तो वहीं यह राजनेताओं की हकीकत भी बयां करती हैं। निसंदेह जो शिलापट केदारनाथ में लगे उन पर पीएमओ का अनुमोदन हुआ था, लेकिन सच यह भी है कि पीएमओ से अनुमोदन भी उसी पर मिला जो यहां से भेजा गया । इसके बावजूद भी कुछ सवाल हैं ।

सवाल यह नहीं है कि स्थानीय सांसद और विधायक का नाम इन शिलापटों में क्यों नहीं है ? सवाल यह भी नहीं है कि पूरी कैबिनेट में से किसी भी मंत्री का नाम इनमें नहीं है, आला अफसरों के नाम भी क्यों गायब हैं । जो सवाल बेचैन किए है वह यह है कि राज्य मंत्री धन सिंह का नाम इन शिलापटों पर कैसे है ? सूत्रों की मानें तो शिलापटों पर बड़ी कसरत हुई। कैसे हुआ यह ? यह क्या है, सियासत है या कोई शरारत ? यहां स्पष्ट कर दें कि निसंदेह यह सरकार का अंदरूनी मसला है। जनता से इसका सीधा कोई सरोकार नहीं, पर मुद्दा यह इसलिये है कि जनता नेताओं को चुनकर इसलिये तो नहीं भेजती । अगर सरकार इस तरह सियासत और शरारत में उलझी रहेगी तो काम क्या खाक करेगी?

केदारनाथ में कुल पांच निर्माण कार्यों के शिलान्यास हुए । राज्य सरकार के अधिकारियों ने इन पांच निर्माणकार्यों के शिलान्यास के शिलापट्ट पर लिखे जाने वाले कंटेंट का जो पहला प्रारूप तैयार किया उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कुछ नौकरशाहों का नाम था।इस प्रारूप को संशोधित करते हुए राज्यपाल डाक्टर केके पाल और निर्माणकार्यों में आर्थिक सहयोग देने वाले कारोबारी सज्जन जिंदल का नाम भी जोड़ा गया, बाकी सभी नाम यथावत रहे। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय से जो प्रारूप अप्रूव हुआ उसमें आश्चर्यजनक रूप से राज्यमंत्री धन सिंह रावत का नाम भी जुड़ा हुआ था। साथ ही नौकरशाहों और सज्जन जिंदल का नाम हटा दिया गया था। चलिये तस्वीरों के जरिए इस पूरे खेल को समझने की कोशिश करते हैं …

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