ऋषि गंगा झील तक पहुंची एसडीआरएफ..
उत्तराखंड: ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झील को लेकर एसडीआरएफ ने खतरे की पूर्व चेतावनी व्यवस्था भी कर ली है। झील अगर टूटती है तो इस व्यवस्था के तहत पानी के रैणी गांव तक पहुंचने से पहले ही पूरे क्षेत्र को खाली करवाया जा सकता है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सीईओ रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि ऋषि गंगा में झील के मुहाने तक एसडीआरफ की टीम पहुंच गई है। एसडीआरफ टीम के पास वायरलैस है और किसी भी स्थिति में यह तुरंत सूचना दे सकती है। यह उत्तराखंड की पारंपरिक व्यवस्था भी है। इसमें ऊपर के इलाके के लोग सीटी बजाकर डाउन स्ट्रीम के लोगों को सतर्क कर देते थे।
अभी तक माना जा रहा था कि झील करीब 400 मीटर लंबी है। लेकिन झील तक पहुंचे एसडीआरएफ के कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने एक वीडियो जारी कर कहा कि झील से पानी लगातार डिस्चार्ज हो रहा है। झील में 50 मीटर तक ही पानी जमा है। वे अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे।एक सिरे से देखने पर झील करीब 200 मीटर तक दिख रही है। नदी के मुहाने पर करीब 500 मीटर तक के क्षेत्र में मलबा है। पानी का रिसाव भी ठीक तरीके से हो रहा है। नवनीत भुल्लर के मुताबिक झील से कोई खतरा नहीं है। वहीं, सिंचाई एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि ऋषि गंगा नदी पर बनी कृत्रिम झील से अब खतरा टल रहा है। लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि वाडिया भूगर्भ के वैज्ञानिकों ने रिमोट सेंसिंग के माध्यम से झील की स्थिति पर नजर रखी हुई है। टीम को ड्रोन के माध्यम से झील की निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं। उधर, सुरंग और बैराज साइट से मलबा हटाने के लिए अब धौली गंगा का रुख मोड़ा जा रहा है। बैराज साइट गेट नंबर एक से दो जेसीबी और सुरंग साइट से एक जेसीबी मलबा हटाने के लिए लगी है। यहां जेसीबी को नदी में उतारने के लिए एप्रोच सड़क का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है।