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कल हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी, ये पांच उपाय करने से नहीं आएगा परिवार पर कोई संकट..

कल हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी, ये पांच उपाय करने से नहीं आएगा परिवार पर कोई संकट..

 

 

 

देश-विदेश: अपनी संतानों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत माघ कृष्णपक्ष चतुर्थी 21 जनवरी को मनाया जाएगा। मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य में सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा- पाठ और दान परिवार में सुख-शांति लेकर आता है।

 

सुबह स्नानादि करके व्रत का संकल्प लेकर व्रती सूर्योदय से चंद्रोदय काल तक नियमपूर्वक रहें। दोपहर में लकड़ी के पाटे पर लाल या पीला कपडा बिछाकर ईशान कोण में मिट्टी के गणेश व चौथ माता की तस्वीर स्थापित कर रोली, मोली,अक्षत, फल,फूल, शमीपत्र,दूर्वा आदि से विधिपूर्वक पूजन करें। फिर मोदक तथा गुड़ में बने हुए तिल के लड्डू का नैवेद्य अर्पण करें और आरती कर चौथ माता की कहानी सुनें।

 

महिलाएं कहानी सुनने के बाद सूर्यदेव को तांबे लोटे में लाल चन्दन,लाल पुष्प,चावल,तिल और गुड़ डालकर ॐ घृणि सूर्याय नमः बोलकर अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के बाद उसी स्थान पर खड़े होकर सूर्यदेव की तीन परिक्रमा करें। ऐसा करने से भगवान सूर्य सुख-सौभाग्य प्रदान करते हैं।

 

चंद्रदेव को अर्घ्य..

चंद्रोदय होने पर लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन,कुश,पुष्प,अक्षत आदि डालकर चन्द्रमा को यह मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें।’गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक’।अर्थात-‘गगन रुपी समुद्र के माणिक्य चन्द्रमा ! दक्ष कन्या रोहिणी के प्रियतम !गणेश के प्रतिविम्ब !आप मेरा दिया हुआ यह अर्घ्य स्वीकार कीजिए’।चन्द्रमा को यह दिव्य तथा पापनाशक अर्घ्य देकर परिवार की कुशलता की प्रार्थना करें।

 

शास्त्रों के अनुसार इस दिन गुड़ और तिल का तिलकुटा बनाकर उसे दान करना चाहिए। व्रत करने वालों के लिए यदि संभव हो तो दस महादान जिनमें अन्नदान, नमक का दान, गुड का दान, स्वर्ण दान,तिल का दान, वस्त्र का दान, गौघृत का दान, रत्नों का दान,चांदी का दान और दसवां शक्कर का दान करें। ऐसा करके प्राणी दुःख-दरिद्र,कर्ज, रोग और अपमान के विष से मुक्ति पा सकता है।

 

इस दिन गाय और हाथी को गुड खिलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन विधार्थी ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 108 बार जप करके प्रखर बुद्धि, उच्च शिक्षा और गणेशजी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ‘ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात’ का जप जीवन के सभी संकटों और कार्य बाधाओं को दूर करेगा।

 

 

 

 

 

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