उत्तराखंड में गांव से शहरों की ओर पलायन के कारण
राज्य स्थापना के बाद आज भी लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं जिसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार का न होना पाया गया हैं। उत्तराखंड में सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार हैं। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश लोगों को शहर की और पलायन करना पड़ता है
उत्तराखंड: राज्य स्थापना के बाद आज भी लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं जिसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार का न होना पाया गया हैं। उत्तराखंड में सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार हैं। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश लोगों को शहर की और पलायन करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कुछ जगह ऐसी है जहाँ पर स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा ग्रामवासियों तक नहीं पहुंच पायी हैं। बात अगर शहरों की करे तो आज जहाँ शहरों में विकास की रफ्तार में तेज होती जा रही है, वही गाँव के लोग अपनी दैनिक मूलभूत सुविधाओं के लिये भी संघर्ष करने के लिये मजबूर है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोग असुविधा से तंग आकर शहरी सुविधा से आकर्षित हो रहे है, और शहरों में अपना निवास बनाकर सुविधा तलाश रहे है। आज के समय में हर इंसान अपने लिए सुविधा चाहता है, चाहे वो ग्रामीण हो या शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों के मुकाबले सुविधाएँ नाम मात्र की भी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपनी हर एक जरूरत के लिए शहरों पर ही निर्भर रहते है। यहां तक कि उन्हें अपनी हर छोटी से छोटी जरूरत के लिये शहर आना पड़ता है, जिसमें उनका समय और पैसा दोनों व्यर्थ जाते है।
बात अगर करे शिक्षा की तो आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती हैं आज भी कई गाँवो में स्कूल नहीं है और अगर स्कूल है भी तो उनमें शिक्षा का स्तर और वहां पर वो सारी सुविधाएं नहीं हैं जो एक स्कूल में होनी चाहिए। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को स्कूल के लिये शहर की ओर आना पड़ता है और अगर वे गाँव के स्कूल में शिक्षा ले भी लेते है, तो उच्च शिक्षा के लिये उनके पास शहर ही एकमात्र साधन बचता है। जिसके चलते शहरी क्षेत्र ही उनको अपने उज्वल भविष्य के लिए एकमात्र साधन दिखता हैं।
स्वास्थ की दृष्टि से अगर ग्रामीण क्षेत्रों को देखा जाये तो आजादी के बाद आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में न अस्पताल है, न ही कोई अन्य सुविधा। और अगर किसी गाँव में अस्पताल है भी तो वहाँ कोई डॉक्टर अपनी सेवाए देना नहीं चाहते। किसी जगह अगर अस्पताल और डॉक्टर दोनों मौजूद है, वहाँ सम्पूर्ण सुविधाओं के न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पता क्यूंकि वहां पर वो सारी सुविधा नहीं मिल पाती हैं जो शहरी क्षेत्रों में मिलती हैं ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल एक मात्र रेफर सेंटर बन कर ही रह जाते हैं। जिसके चलते कई लोग समय पर इलाज न मिल पाने के कारण अपनी जान गवा देते हैं। इसके बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किये जाते हैं।
चुनाव के समय पर सभी राजनीतिक पार्टियाँ ग्रामीणों को एक अच्छी शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का वादा तो करती हैं लेकिन चुनाव जितने के बाद वही राजनितिक पार्टियाँ अपने 5 साल के कार्यकाल में ग्रामीण क्षेत्रों की ओर रुख तक नहीं करती है,जो कि चुनाव के समय में ग्राम वासियों के मन में नयी आस दे जाते है। वही रोजगार की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर देखा जाये तो गांव में रोजगार का कोई भी जरिया ग्रामवासियों के पास नहीं होता हैं।
यहां तक की स्वरोजगार योजना का लाभ भी ग्रामीण क्षेत्रों के नौजवानों से ज्यादा शहरी क्षेत्रों के नौजवानों को मिलता दिख रहा हैं। एक बेहतर शिक्षा और रोजगार की चाहत के लिए ग्रामीण क्षेत्र के नौजवानों को शहरी क्षेत्रों की और पलायन करना पड़ रहा हैं। जिसके चलते शहरी क्षेत्रों में दर दर की ठोकरे खाने को मजूबर होकर वे एक बेहतर भविष्य की आस लगायें रहते हैं।