उत्तराखंड

रामबाडा (केदारनाथ) आपदा का मंजर आज भी ताजे

2013 केदारनाथ त्रासदी स्पेशल रिपोर्ट –

केदारनाथ यात्रा का यह महत्वपूर्ण पड़ाव रामबाडा आज भी जिंदा है
केदारनाथ  : आपदा से पहले दिन-रात चहकने वाले रामबाड़ा को देख केदार भक्तों की आंखें भर आई। केदारनाथ यात्रा का यह महत्वपूर्ण पड़ाव वर्ष 2013 की आपदा में तबाह हो चुका है लेकिन केदार दर्शन को पहुंच रहे भक्तों के दिलों में यह पड़ाव आज भी मौजूद है।
बाबा केदार की यात्रा में कभी श्रद्धालुओं को ठहरने का आग्रह करने वाला रामबाड़ा आज वीरान हैं। कभी 24 घंटे उल्लास और उमंग से भरपूर रहने वाले इस पड़ाव में आज रेत और बोल्डर बिखरे पड़े हैं। पैदल मार्ग पर आवाजाही बदस्तूर जारी है, लेकिन रामबाड़ा खामोश है। मंदाकिनी नदी का तेज शोर भी यहां पसरे सन्नाटे को नहीं तोड़ पा रहा है।

यहां पहुंचते ही शिव भक्तों की आंखें यहां पर बिताए पलों को याद कर भर आती हैं। मुम्बई से बेटे के साथ बाबा केदार के दर्शनों को पहुंचे गोपा भाई ने बताया कि वे वर्ष 2010 में परिवार के साथ बाबा केदार के धाम आ रहे है। तब, रामाबाड़ा में ही उन्होंने रात्रि प्रवास हुआ था। हंसी-ठिठोली के साथ स्थानीय लोगों के साथ बिताए पल आज भी याद आते हैं। आज रामबाड़ा के मंजर को देख उनकी आंखें नम हो गई।
श्रद्धालु जगन्नाथ, रामानुज, सतेन्द्र, प्रतिभा ने भावुक होते हुए बताया कि वर्ष 2007 से वे हर वर्ष बाबा केदार के धाम पहुंच रहे हैं। वर्ष 2008, और 2011 में उन्हें रामाबाड़ा में रात्रि प्रवास किया था लेकिन सब कमरे बुक थे। बैठने तक की भी जगह नहीं थी। ऐसे में पूरी रात स्थानीय दुकानदारों और अन्य यात्रियों के साथ हंसी-मजाक और बातचीत में गुजर गई।

वे पिछले तीन वर्षों से भी पैदल यात्रा कर रहे हैं, लेकिन रामबाड़ा नजर नहीं आ रहा। चारों तरफ वीरानी छाई है। रेत और बोल्डरों के बीच उन बिताए पलों को वह ढूंढ रहे हैं।

आपदा से पहले दिन-रात चहकने वाले रामबाड़ा को देख केदार भक्तों की आंखें भर आई। केदारनाथ यात्रा का यह महत्वपूर्ण पड़ाव वर्ष 2013 की आपदा में तबाह हो चुका है लेकिन केदार दर्शन को पहुंच रहे भक्तों के दिलों में यह पड़ाव आज भी जिंदा है।

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