उत्तराखंड

रक्षाबंधन के लिये केदारनाथ मंदिर में तैयारियां शुरू..

रक्षाबंधन के लिये केदारनाथ मंदिर में तैयारियां शुरू..

 

 

 

 

 

 

 

रक्षाबंधन पर्व के लिए केदारनाथ मंदिर को सजाने की तैयारी की जा रही है, रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला (भतूज) का कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं। बता दें कि, रक्षाबंधन के दिन भगवान केदारनाथ के दरबार में अन्नकूट का मेला स्थानीय लोगों द्वारा लगाया जाता हैं। इस दिन केदार बाबा को नए अनाज का भोग लगाया जाता हैं।

उत्तराखंड: रक्षाबंधन पर्व के लिए केदारनाथ मंदिर को सजाने की तैयारी शुरू की गयी हैं। रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला (भतूज) का कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं। बता दें कि, रक्षाबंधन के दिन भगवान केदारनाथ के दरबार में अन्नकूट का मेला स्थानीय लोगों द्वारा लगाया जाता हैं। इस दिन केदार बाबा को नए अनाज का भोग लगाया जाता हैं। भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। इससे पूर्व रक्षाबंधन को लेकर मंदिर को सजाया जा रहा हैं।

रक्षाबंधन और अन्नकूट मेले को लेकर केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई है। केदारनाथ में स्थित स्वयंभू लिग पर नए अनाज का भोग एवं श्रृंगार का भक्तजन दर्शन कर भोले बाबा का आशीर्वाद लेते हैं। हर साल आयोजित होने वाले इस धार्मिक मेले को लेकर लोगों में उत्साह है। वहीं केदार घाटी में विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी , ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ सहित कई अन्य शिव मंदिरों में पर भी इसी परंपरा को निभाया जाता है।

प्रतिवर्ष रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला (भतूज) धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस बार यह तिथि 10 अगस्त को पड़ रही है। मेले में सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहितों द्वारा भगवान शिव के स्वयंभू लिग की विशेष पूजा-अर्चना की प्रक्रिया संपन्न करने के साथ ही नए अनाज झंगोरा, चावल, कौंणी आदि के लेप लगाकर स्वयंभू लिग का श्रृंगार करते हैं।

इस दौरान भोले बाबा का श्रृंगार का दृश्य अलौकिक होता है, जिसके बाद प्रतिवर्ष भक्त सुबह चार बजे श्रृंगार किए गए भोले बाबा के स्वयंभू लिग के दर्शन करते हैं, इसके बाद भगवान को लगाए गए अनाज के इस लेप को यहां से हटाकर किसी साफ स्थान पर विसर्जित किया जाता है। मंदिर समिति के कर्मचारी मंदिर की सफाई करने के उपरात ही अगले दिन भगवान की नित्य पूजा-अर्चना करते है।

इस मेले को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। कहा जाता हैं कि नए अनाज में पाए जाने वाले विष को भोले बाबा स्वयं ग्रहण करते हैं। आपको बता दे कि इस त्योहार को मनाने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है। वहीं, विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, घुणेश्वर महादेव एवं कालेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भी अन्नकूट मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही है। साथ ही मंदिर को सजाने का कार्य भी चल रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

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